Wednesday, March 23, 2016

कैसे हो शहीदों का सम्मान??

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

निवेदन: इस आर्टिकल को पढने वाले सभी पाठकों से मेरा अनुरोध है की कृपया 5 मिनट का समय निकाल कर इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 
अनुरोध: जो लोग भी इस आर्टिकल को पढ़ें, कृपया अपने मित्रों के साथ भी सांझा करें। 

आज भारत के सबसे बहादुर और सबसे सच्चे देशभक्तों में गिने जाने वाले माँ भारती के वीर सपूतों शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह संधू, शहीद शिवराम राजगुरु और शहीद सुखदेव थापर का बलिदान दिवस है। बहुत सी जगहों पर, सरकारी दफ्तरों में और मंत्रालयों में इन तीनों की प्रतिमाओं पर पुष्प चढ़ाए जा रहे हैं। इन औपचारिकताओं को बाकायदा कैमरों में कैद किया जा रहा है, एक रिकॉर्ड के तौर पर। परन्तु सोचने की बात यह है कि पुष्प चढाने वाले कितने लोगों की भावनाएं इन पुष्पों से जुडी हैं। फेसबुक, ट्विटर आदि पर आज
युवक इन वीरों को नमन करने में सबसे आगे हैं। हर कोई दिखाना चाहता है कि मैं भी देशभक्त हूँ, क्योंकि मैं शहीदों को प्रणाम कर रहा हूँ। सोचिये जरा कि अगर कोई भगवान् के मंदिर में जाकर प्रणाम करने लगे तो क्या वो भगवान् बन सकता है? नहीं ना!!
तो ये झूठी ढकोसले-बाजी किस काम की है मित्रो? मैं ऐसा लिख कर किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता, श्रद्धांजलि अर्पित करना बहुत अच्छी बात है, करना भी चाहिए, मैं भी कर रहा हूँ। परन्तु देशभक्ति का दिखावा करके वाह-वाही बटोरना मेरी नजर में शहीदों का अपमान है। तो अब आप पूछेंगे कि सम्मान कैसे हो? आप यह आर्टिकल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरे विचार में पहली बात तो यह कि किसी भी महान व्यक्ति का सम्मान करने के लिए कोई निर्धारित दिन या समय का होना जरुरी नहीं है। सम्मान हमेशा दिल से किया जाता है और अगर हम इस भावना को समय की सीमाओं में बांधते हैं, तो यह भावना भावना न रह कर महज एक औपचारिकता रह जाती है। आप में से कितने लोग ऐसे होंगे जो साल के 365 में से 36 दिन भी इन देशभक्तों या अन्य किसी महान व्यक्ति को याद करते होंगे। शायद बहुत कम का जवाब नकारात्मक ही होगा, यदि झूठ न बोला जाए तो! 
दूसरी और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन शहीदों का वास्तविक सम्मान अगर हम करना चाहें तो पुष्प चढ़ाए बिना या फेसबुक पर स्टेटस डाले बिना ही बहुत अच्छे से कर सकते हैं। कैसे? 
बिलकुल छोटा सा उत्तर होगा: इनके जैसे बनकर!!!
अब इस उत्तर के प्रत्युत्तर में आज के जवानों के होश भी उड़ जायेंगे। क्योंकि भगत सिंह या उधम सिंह बनने के लिए बहुत बड़ा कलेजा चाहिए। आप यह आर्टिकल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट कॉम पर पढ़ रहे हैं। लेकिन आज के युवा की थ्योरी क्या कहती है? यही कि हिन्दुस्तान में भगत सिंह पैदा होने चाहिए पर वो हम न हों या किसी और के घर में पैदा हो वगैरह-वगैरह। वास्तव में ही यह एक कटु-सत्य है कि आज का युवा देशभक्त को पसंद तो करता है, लेकिन बनने में हिचकिचाता है। आज जहाँ देश को भगत सिंह जैसे युवा की सख्त जरूरत है, वहीं युवा पीछे कदम हटा रहा है और बिलकुल विपरीत दिशा में जा रहा है। यदि आपको पता न हो तो बता दें कि आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को भारत की आज़ादी की लड़ाई के बहादुर सेनापति सरदार भगत सिंह संधू, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को अंग्रेजी सरकार ने फांसी के तख्ते पर चढ़ाया था। फांसी के समय तीनों की आयु 23, 22 और 22 साल थी। इतनी छोटी उम्र में इन्होंने देश की आज़ादी के सपने देखे और सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा दी। क्या आज के युवा का इतना बड़ा कलेजा है? शायद बहुत ही कम लोग होंगे ऐसे। आज के युवा के लिए अफीम, चरस, गांजा और शराब का सेवन, माता पिता के पैसे का दुरूपयोग करना उसकी रूटीन का हिस्सा है। ये सब चीजें करके आज का युवा अपने आप को बहुत बहादुर समझता है। चार-छह लड़के मिलकर किसी महानगर या किसी गाँव में एक अबला की इज्जत को तार-तार करने में गर्व महसूस करते हैं। आज के युवा से भारत की जो अपेक्षा की जाती है, उस अपेक्षा पर खरा उतरना तो दूर की बात है, वह देशभक्ति और स्व-बलिदान की बातों को बकवास मानता है। निश्चय ही यह एक बहुत ही कड़वी सच्चाई है और युवाओं की ये घटिया मानसिकता देश के अस्तित्त्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है। मेरा तो आज के भारत के युवा वर्ग से हाथ जोड़कर केवल यही अनुरोध है कि अगर आप लोग उन लोगों के जैसा नहीं बन सकते तो कम से कम प्रयास अवश्य करें क्योंकि आज अगर आप आज़ाद होकर सड़कों पर अपनी मर्ज़ी से घूम सकते हैं, अपने विचारों को प्रकट कर सकते हैं तो ये सिर्फ उन्हीं महान देशभक्तों के कारण संभव है। आज अगर आप बुरी आदतों में अपनी जवानी को गंवा देंगे तो शायद 1947 से पहले की गुलामी से भी बदतर हालात में हमें और आने वाली पीढ़ियों को दिन काटने पड़ें। मेरे हिसाब से आज शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनसे सम्बंधित साहित्य पढ़ें, उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें, अच्छा सोचें और अच्छा करें।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE . Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.