आरक्षणपर जारी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को साफ किया, 'हम बाबासाहब अंबेडकर के भक्त हैं। बाबा साहब खुद आकर भी आपसे आरक्षण नहीं छीन सकते। उनके सामने तो हम कुछ भी नहीं हैं। आरक्षण पर राजनीति हो रही है। यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार इसे खत्म करने जा रही है। जबकि हकीकत यह है कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है।' यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला रखी। उद्घाटन 14 अप्रैल 2018 को होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि दलितों और पीड़ितों के आरक्षण को कमजोर नहीं करेंगे। समाज को दुर्बल बनाकर राष्ट्र को सबल नहीं बनाया जा सकता। यह बाबा साहेब का सपना था जिसे साकार करने के लिए सरकार वचनबद्ध है। लेकिन कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है। वह इस पर राजनीति कर दुष्प्रचार में लग गए हैं। कुछ लोग यह काम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय से ही करते आए हैं। संविधान में आरक्षण व्यवस्था समाज में सदियों से चली रही अन्याय की परंपरा को खत्म करने की है।'
मार्टिन लूथर किंग से की बाबा साहेब की तुलना: प्रधानमंत्री ने राष्ट्र निर्माण में बाबा साहब की भूमिका को याद करते हुए कहा, 'उन्हें केवल दलितों के मसीहा के रूप में नहीं देखना चाहिए। वह समाज में होने वाले हर अन्याय और अमानवीय घटना के खिलाफ थे। उन्हें विश्व मानव के रूप में देखा जाना चाहिए। दुनिया मार्टिन लूथर को दबे-कुचलों के मसीहा के रूप में याद करती है तो हम बाबा साहब को भी समाज के निर्बल वर्ग के मसीहा के रूप में देखते हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा, 'बाबा साहब को समाज के हर वर्ग की चिंता थी। वह सबके लिए सोचते थे। श्रमिकों के लिए आठ घंटे का वक्त तय करने का काम बाबा साहब ने ही किया था। महिलाओं के संपत्ति के अधिकार की बात उन्होंने ही उठाई थी। बाबा साहब की अध्यक्षता में ही हिंदू कोड बिल पर काम शुरू हुआ था। महिलाओं को समान अधिकार देने की व्यवस्था थी। यह सिर्फ दलितों के लिए नहीं था। यह टाटा-बिड़ला के परिवारों के लिए भी था। देश का यह दुर्भाग्य है कि इतिहास को सही रूप में पेश नहीं किया जाता। डॉ. आंबेडकर के साथ भी यही हुअा।'
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साभार: भास्कर समाचार
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