जातीय हिंसा के बाद जाटों को दोफाड़ करने में कामयाब हो चुकी भाजपा सरकार सोमवार को जाट समुदाय को आरक्षण देने का फैसला ले सकती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के बजट पेश करने के तुरंत बाद पांच बजे सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक बुला ली है। इस बैठक में जाट आरक्षण विधेयक के
प्रारूप पर चर्चा के बाद मंजूरी दी जा सकती है। मंत्रिमंडल की बैठक बुलाए जाने के साथ ही यह लगभग तय हो चुका है कि सरकार इसी बजट सत्र में जाट समुदाय को आरक्षण देने का अपना वादा पूरा करने वाली है। सरकार के गैर जाट मंत्री सवाल खड़ा कर रहे कि यदि बर्बादी के इतने बड़े मंजर के बाद ही आरक्षण देना था तो फिर यह फैसला पहले भी लिया जा सकता था। सरकार के कुछ मंत्री जाटों को आरक्षण दिए जाने से नाराज हैं, जबकि जाट मंत्री उनकी पुरजोर पैरवी कर रहे हैं। सरकार कैबिनेट में सहमति बनने के बाद जाट आरक्षण विधेयक होली के बाद विधानसभा में पेश कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि इसे 29 से 31 मार्च के बीच किसी दिन पेश किया जा सकता है, जबकि कुछ विधायक जाट व खाप नेताओं की आंदोलन की धमकियों का हवाला देते हुए इसे 22 मार्च को ही सदन में पेश करने का दबाव बना रहे हैं।
सरकार कर चुकी जाट नेताओं को दोफाड़: भाजपा सरकार अब कूटनीति से काम ले रही है। जाट संगठनों से अलग-अलग बातचीत की जा रही है। केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्याण, केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु अपने-अपने ढंग से जाट व खाप संगठनों को साधने में लगे हैं। यह अलग बात है कि सभी आरक्षण के हिमायती हैं। सरकार से बातचीत में शामिल तमाम संगठन एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं, जिसका फायदा सरकार को मिल रहा है।
हर प्रारूप पर होगा कैबिनेट में मंथन: कैबिनेट की बैठक में मुख्य सचिव डीएस ढेसी के नेतृत्व वाली कमेटी की रिपोर्ट पर मंथन होगा। सरकार को आरक्षण के मामले में तीन सुझाव मिल चुके हैं। जाट संगठन बीसी (बी) कैटेगरी को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं साथ ही उनका यह भी सुझाव है कि अगर इस मामले में कहीं कोई कानूनी अड़चन पेश आती है तो वे संविधान के नौंवे शेड्यूल (सी) में शामिल होकर आरक्षण के लिए तैयार हैं। देखा जाए तो इसमें बीसी (बी) वाला मामला पूरी तरह राज्य सरकार से जुड़ा मामला है जबकि संविधान के नौंवे शेड्यूल के मामले में केंद्र की भूमिका बढ़ जाएगी। ऐसे में मनोहर सरकार होशियारी के साथ संविधान की नौवीं अनुसूची पर उंगली रखते हुए इसे केंद्र के पाले में सरका सकती है।
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साभार: जागरण समाचार
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