पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मंगलवार को राज्य में हुए जान-माल के नुकसान पर भावुक हो गए। आंदोलन भड़काने के आरोपों से आहत हुड्डा ने कहा कि वे कोई भी अग्निपरीक्षा देने को तैयार हैं। साथ ही उन्होंने सरकार पर हमला भी बोला। हुड्डा ने कहा कि भाजपा में यदि जरा भी नैतिकता है और वह देश के सामने इन
दंगों की सच्चाई सामने लाना चाहती है तो सुप्रीम कोर्ट के सीटिंग जज से जांच करानी चाहिए। उनके सामने इस समय प्रदेश में भाईचारा कायम करने की प्राथमिकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जाट आरक्षण आंदोलन के बाद चंडीगढ़ में एक दर्जन विधायकों व पूर्व विधायकों के साथ पहली बार मीडिया से रू-ब-रू हुए हुड्डा ने अपने पूर्व राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र को भी कानून के सामने आने की सलाह दी। साथ ही जोड़ा कि भाजपा को अपने सांसदों, मंत्रियों व विधायकों की सामने आई वीडियो-ऑडियो क्लीपिंग की भी जांच करानी चाहिए। दंगा भड़काने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज होने चाहिए। भले ही वह किसी भी पार्टी का है। हुड्डा ने कहा कि हम न्यायिक जांच की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि विफल सरकार अपनी विफलता की जांच नहीं कर सकती। भाजपा सरकार नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा दे और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। आंदोलन तो नेतृत्वहीन था ही बल्कि सरकार भी नेतृत्वहीन व दिशाहीन थी। अपनी सरकार के मंत्रियों-सांसदों और विधायकों द्वारा भड़काए गए दंगों को वह रोक नहीं पाई। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, गृह सचिव और डीजीपी मान चुके हैं कि इस पूरे मामले में सरकार विफल रही है। हजकां अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई द्वारा प्रो. वीरेंद्र के गोआ स्थित हुड्डा के फार्महाऊस में छिपे होने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि कुलदीप उनके साथ गोआ चलें और दिखाएं कि उनका कोई फार्महाउस भी है। अन्यथा मुङो कोई फार्महाउस या फ्लैट खरीदकर दिलवा दें।
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साभार: जागरण समाचार
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