शराब कारोबारी से सांसद बने विजय माल्या एक हफ्ते पहले ही देश छोड़ चुके हैं। नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज चुकता नहीं करने के आरोपी माल्या को लेकर सीबीआइ को आशंका है कि वे ब्रिटेन में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब उनके संसद वाले ईमेल आइडी और लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के जरिए नोटिस भेजने को कहा है।
बैंकों के कंसोर्टियम ने अदालत से अपील की थी कि माल्या के पासपोर्ट को फ्रीज किया जाए और उन्हें सुनवाई के लिए खुद हाजिर होने को कहा जाए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जस्टिस कुरियन जोसेफ और आरएफ नरिमन की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि सीबीआइ का मानना है कि माल्या 2 मार्च को ही देश छोड़ चुके हैं। रोहतगी ने अदालत को बताया कि जांच एजेंसी से उन्होंने खुद बातचीत की है। उन्हें बताया गया कि माल्या सात दिन पहले ही देश से बाहर जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि माल्या को कोर्ट में पेश कराया जाए। सारे तथ्य सामने आएं और जनता का पैसा वापस मिले। रोहतगी ने कहा कि माल्या पर 17 बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और वे किसी न किसी बहाने इसकी अदायगी से बच रहे हैं। इसके बाद खंडपीठ ने नोटिस जारी कर कहा कि वे बैंकों की ओर से दायर की गई अपील पर दो हफ्ते में जवाब दें। अटार्नी जनरल ने इस बात पर भी जोर दिया कि माल्या को जारी किया गया नोटिस राज्य सभा सचिवालय की ओर से उपलब्ध कराए गए सरकारी ईमेल आइडी के साथ ही लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के जरिए भी भेजा जाएगा। कोर्ट ने इसे भी मंजूरी दे दी। साथ ही माल्या को विभिन्न अदालतों और न्यायाधिकरणों में उनकी पैरवी कर रहे वकीलों और उनकी कंपनी के पते पर भी नोटिस भेजा जाएगा। कर्ज चुकाने में देरी को लेकर उनके खिलाफ बेंगलुरु और गोवा में कई प्राधिकरणों में मामले चल रहे हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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