हाथ, मुंह, बम का विज्ञापन तो आपने देखा होगा। इससे प्रेरित बच्चे अपने स्कूल में हाथ धोने के लिए पहुंचते हैं तो स्कूलों में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं होने पर गंदे हाथ लेकर ही लौट आते हैं। स्वच्छता का संदेश देने वाली सरकार प्रदेश के 4451 स्कूलों में हैंड वाश की सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकी। प्रदेश के करीब 20 प्रतिशत स्कूलों में टॉयलेट और हाथ धोने के लिए पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हरियाणा में 22315 स्कूल हैं, जिसमें 4451 स्कूलों में टायलेट के बाद हैंडवॉश के लिए सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसमें सरकारी व निजी दोनों तरह के स्कूल शामिल हैं। स्कूलों में भले ही टॉयलेट यूज करने का निर्देश दिया जाता हो, लेकिन 136 स्कूलों में लडकियों के लिए टॉयलेट नहीं है। लड़कों के लिए बने स्कूलों में 241 में टॉयलेट सुविधा नहीं है। 21 स्कूलों में तो बच्चों के पीने के लिए पानी ही नहीं है। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद ने प्रदेश के सरकारी, प्राइवेट, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, मदरसों का सर्वे कर यह रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें प्रदेश भर के स्कूलों का मौके पर जाकर मुआयना किया गया। परिषद की ओर से हर एक स्कूल के लिए अलग-अलग स्कूल रिपोर्ट कार्ड एससीआर तैयार किया। पूरे प्रदेश की स्थिति बताने के लिए जिला अनुसार भी रिपोर्ट तैयार की।
शिक्षा मंत्री का जिला सबसे फिसडडी: टॉयलेट के मामले में प्रदेेश के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के जिले महेंद्रगढ का सबसे बुरा हाल है। एजुकेेशन मिनिस्टर के जिले में सबसे अधिक 24 स्कूलों में टॉयलेट सुविधा नहीं। मेवात इस लिस्ट में दूसरा तथा रेवाडी तीसरे नंबर पर है।
85 स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट बने ही नहीं: सर्वे रिपोर्ट के अनुुसार प्रदेश के 85 स्कूलों में लडकियों के लिए टॉयलेट बने ही नहीं। 51 स्कूलों में टॉयलेट तो बने पर वह चालू हालात में नहीं हैं। लड़कों के लिए 107 स्कूलों में टॉयलेट बनाए ही नहीं गए। लड़कों के 134 स्कूलों में बने टॉयलेट उपयोग करने की हालत में नहीं है। स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट का प्रबंध न होने के कारण परिजन ऐसे स्कूलों में बच्चों का दाखिला नहीं कराते।
स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर की रिपोर्ट तैयार की गई है। जरूरत के अनुसार स्कूलों में सुधार किया जा रहा है। हर एक स्कूल में मूलभूत जरूरतें पूरी होंगी। प्रदेश सरकार की ओर से गंभीरता से काम किया जा रहा है।
एमएल कौशिक, निदेशक, स्कूल शिक्षा विभाग, हरियाणा
अव्यवस्था:
- लड़कियों के लिए 136 स्कूलों में नहीं बने टॉयलेट
- लडकों के स्कूलों में 241 में टॉयलेट सुविधा नहीं
शौचालयों पर पर लगा है ताला: करीब 30 से 40 प्रतिशत स्कूलों में टॉयलेट को टीचर ताला लगाकर रखते हैं। इन्हें केवल स्टाफ के लिए खोला जाता है। स्कूल के प्रधानाचार्य व शिक्षक का तर्क होता है कि टॉयलेट का ताला खोल देंगे तो इसे साफ कौन करेगा। स्कूल में टॉयलेट क्लीन करने के लिए क्लीनर का प्रबंध नहीं है। इसके लिए बजट का प्रावधान भी नहीं।
कहां नहीं टॉयलेट: भिवानी के 10, फरीदाबाद 9, फतेहाबाद 4, गुड़गांव 16, झज्जर 5, जींद 6, कैथल 5, करनाल 9, कुरूक्षेत्र 1, महेंद्रगढ 24, मेवात 22, पलवल 15, पंचकूला 3,पानीपत 18,रेवाड़ी 20, रोहतक 5, सिरसा 5, यमुनानगर 14 स्कूलों में टॉयलेट की सुविधा नहीं है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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