मध्यम वर्ग के बीच जनाधार खिसकने की चिंता में सरकार ने ईपीएफ पर टैक्स लगाने का इरादा छोड़ दिया है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस बाबत संसद में एलान कर विपक्ष के हाथ आया एक अहम मुद्दा छीन लिया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रतिक्रिया में इसकी हताशा भी दिखाई दी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। संसद के दोनों सदनों में दिए बयान में जेटली ने कहा कि लोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए वह सेवानिवृत्ति के समय ईपीएफ की निकासी पर आयकर लगाने तथा नियोक्ताओं के योगदान को सालाना डेढ़ लाख रुपये पर सीमित करने के बजट प्रस्तावों को वापस लेते हैं। वित्तमंत्री ने कहा, ‘विभिन्न वर्गो से प्राप्त सुझावों के मद्देनजर सरकार ने इस प्रस्ताव की समग्र रूप से समीक्षा करने का फैसला लिया है। इसलिए मैं अपने बजट भाषण के पैरा 138 तथा 139 में उल्लिखित प्रस्तावों को वापस लेता हूं।’ इससे पहले जेटली ने कहा था कि वह ईपीएफ पर टैक्स के बारे में जनता की चिंताओं का समाधान बजट पर चर्चा के जवाब में देंगे। वर्ष 2016-17 के बजट भाषण में जेटली ने 1 अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ की जमा की गई राशि निकालने पर 60 फीसद राशि पर आयकर लगाने का एलान किया था। हालांकि इस राशि का एन्यूटी पेंशन स्कीमों में निवेश करके इस टैक्स से छूट प्राप्त की जा सकती थी।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.