शिक्षण कार्य के दौरान पीएचडी करने वाले शिक्षकों के लिए राहत की खबर है। इस दौरान की अवधि भी उनके सर्विस में जोड़ी जाएगी। इसका लाभ उन्हें वरिष्ठता के साथ प्रमोशन में भी मिलेगा। यूजीसी बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया है। पूर्व में विश्वविद्यालय और कालेजों में प्रवक्ता पद के लिए परास्नातक ही न्यूनतम योग्यता थी। इसके अलावा बिना पीएचडी नेट-जेआरएफ क्वालीफाइड अभ्यर्थी भी प्रवक्ता/असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने शिक्षण के दौरान पीएचडी की।
यूजीसी के नियमानुसार इन्हें पीएचडी इंक्रीमेंट का लाभ दिए जाने की घोषणा तो की गई, लेकिन इस अवधि को उनके अनुभव में जोड़ जाने को लेकर हमेशा विवाद रहा। इसकी वजह से ऐसे शिक्षकाें को एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रमोशन या नए सिरे से नियुक्ति से वंचित होना पड़ता है। ऐसे शिक्षकों को यूजीसी ने राहत दी है। बोर्ड की 512वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पीएचडी के दौरान की अवधि भी उनके अनुभव में जोड़ी जाएगी। इसका उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रमोशन या नियुक्ति में भी लाभ मिलेगा।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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