सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोचिंग संस्थान रिहायशी इलाके में नहीं होने चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोचिंग संस्थानों के कारण होने वाले हलचल की वजह से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी होती है। पीठ ने साफ कहा कि इस ‘तमाशे’ की इजाजत नहीं दी जा सकती। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने दो टूक कहा कि कोचिंग इंस्टीट्यूट रिहायशी इलाकों में नहीं होने चाहिए। पीठ ने कहा कि लोग कोचिंग संस्थान रिहायशी इलाके में खोल लेते हैं, जिससे वह इलाका सार्वजनिक स्थल बन जाता है। कोचिंग संस्थानों केकारण उस इलाके में भीड़भाड़ बढ़ जाती है। वहां शोरगुल होता है। लड़के मटरगश्ती करते हैं। जिससे स्थानीय निवासी, खास तौर से बुजुर्गों और बच्चों को परेशानी होती है। ऐसे इलाकों की शांति खत्म हो जाती है। इसकेसाथ ही शीर्ष अदालत ने जयपुर के लाल कोठी इलाके में गैरकानूनी तरीकेसे चल रहे 118 कोचिंग स्थान को हटाने केराजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को दरकिनार कर दिया है। यह याचिका ऑल राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन द्वारा दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ये कोचिंग संस्थान वर्षों से चल रहे हैं।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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