प्रदेश में बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मियों (पुरुष) की भर्ती ठंडे बस्ते
में है। 2011 में विज्ञापित 760 पदों के लिए साक्षात्कार सहित सारी
औपचारिकताएं डेढ़ वर्ष पहले पूरी हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक रिजल्ट घोषित
नहीं किया गया। नई भर्ती से कर्मचारियों का संकट खत्म होने और लोगों को
बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने की उम्मीद जगी थी। डिप्लोमा प्राप्त बेरोजगार
शिक्षक भी सुखद भविष्य की आस में थे पर उनके सपने सरकारी फाइलों में कैद
होकर रह गए हैं। बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मियों (एमपीएचडब्ल्यू) की कमी से
लोगों को समय पर सुविधाएं नहीं मिल पा रही। प्रदेश व केंद्र सरकार की
योजनाओं को भी
समय पर सिरे चढ़ाने में दिक्कत आ रही है। पंचकूला, यमुनानगर,
अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, फरीदाबाद, मेवात, पलवल, गुड़गांव, रेवाड़ी,
फतेहाबाद, सिरसा व महेंद्रगढ मे एमपीएचडब्ल्यू पुरुष श्रेणी के 85 प्रतिशत
से ज्यादा पद खाली चल रहे हैं। हरियाणा स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ ने
मुख्यमंत्री मनोहर लाल, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज व कर्मचारी चयन आयोग को
पत्र लिखकर जल्द परिणाम जारी करने का आग्रह किया है। 11200 से अधिक पद चल रहे खाली: प्रदेश सरकार मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू व स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिए करोड़ों रुपये की नई योजनाएं बना रही है, मगर योजना को सिरे चढ़ाने के लिए पर्याप्त कर्मचारी ही नहीं हैं। एमपीएचडब्ल्यू पुरुष के 2544 स्वीकृत पदों में से 1200 से ज्यादा पद खाली हैं। आबादी को देखते हुए सरकार के नियमानुसार प्रदेश में 4200 एमपीएचडब्ल्यू पुरुष व इतनी संख्या में ही महिला कर्मचारी होने चाहिए।
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साभार: जागरण समाचार
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