Thursday, April 23, 2015

जघन्य अपराध के मामले में 16 वर्ष के अपराधी को माना जाएगा वयस्क

जघन्य अपराध में शामिल किशोर गुनहगार को अब कम उम्र होने का लाभ नहीं मिलेगा। कैबिनेट ने 16 से 18 वर्ष के बीच के किशोरों के जघन्य अपराध को बालिगों की तरह मानने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। जघन्य अपराध में शामिल किशोर को वयस्कों को अपराधी मानने वाले बहु प्रतीक्षित किशोर न्याय अधिनियम 2014 संशोधन बिल पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com केंद्र सरकार ने इस
फैसले के साथ ही दुष्कर्म, हत्या और तेजाब हमले जैसे गंभीर मामलों में 16-18 साल के किशोर को वयस्क की तरह कड़ी सजा देने पर अंतिम निर्णय ले लिया है। सरकार संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को पेश करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस बिल को हरी झंडी दी गई। हालांकि इससे पहले 8 अप्रैल को कैबिनेट में इस बिल पर चर्चा हुई थी। लेकिन कुछ मामलों पर आम राय नहीं होने के कारण अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका था। किशोर अपराधी बालिगों की तरह सजा पूरी करने के बाद चुनाव न लड़ सके। इस पर फैसला अब तक नहीं हुआ था। सरकार के सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट से मंजूर बिल के मसौदे में चुनाव नहीं लड़ने के प्रावधान को भी शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि नए कानून के प्रस्ताव पर संसदीय समिति ने अपनी आपत्ति जाहिर की थी लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने समिति की आपत्तियों को खारिज करते हुए कैबिनेट में इस प्रस्ताव को रखा था। जबकि बाल आयोग और कई बाल अधिकार से जुड़े एनजीओ भी इसके खिलाफ हैं। हालांकि मेनका इस बिल को मौजूदा बजट सत्र में पेश करना चाहती हैं। इसलिए उन्होंने समिति की सिफारिशों को दरकिनार कर सीधे कैबिनेट में इस बारे में चर्चा कराने का निर्णय लिया था।
साभार: अमर उजाला समाचार
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