Sunday, April 26, 2015

दुनिया का सबसे महंगा पदार्थ: कीमत है लगभग 400 लाख करोड़ रूपए प्रति ग्राम

दुनिया में सबसे महंगी कमोडिटी की बात करें तो सबसे पहले सोना, चांदी और हीरे का ही नाम दिमाग में आता है, लेकिन ऐसा नहीं है। विश्व में कुछ ऐसी भी कमोडिटीज हैं, जो बहुत महंगी है। शायद कुछ लोगों ने ऐसे मेटल्स का नाम भी न सुना हो। हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही दुनिया की सबसे महंगी कमोडिटीज के बारे में। दुनिया की सबसे महंगी कमोडिटी एंटीमैटर है। एंटीमैटर के एक ग्राम की कीमत 6.25 लाख
करोड़ डॉलर है, यानी भारतीय रुपए में इसकी वैल्यू 393.75 लाख करोड़ रुपए है। 
क्या है खासियत: 1 ग्राम एंटीमैटर को बेचकर विश्व के 100 छोटे देशों को खरीदे जा सकते हैं। 1 ग्राम एंटीमैटर की कीमत 393.75 लाख करोड़ रुपए है। नासा के मुताबिक, एंटीमैटर धरती का सबसे महंगा मटीरियल है। एंटीमैटर जहां बनता है, वहां दुनिया की सबसे बेहतरीन सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। इतना ही नहीं, नासा जैसे संस्थानों में भी इसे रखने के लिए एक पुख्ता सुरक्षा घेरा है। कुछ खास लोगों के अलावा, एंटीमैटर तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। दिलचस्प है कि एंटीमैटर का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईधन की तरह किया जा सकता है। 
क्यों महंगा है एंटीमैटर: एंटीमैटर को इसलिए सबसे महंगा माना जाता है, क्योंकि इसे बनाने वाली टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा खर्चीली है। 1 मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख रुपए तक लग जाते हैं। इसका इस्तेमाल अस्पतालों और रेडियोधर्मी अणुओं को पॉजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी के रूप में मेडिकल इमेजिंग में होता है। इसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों में भी किया जाता है।  
  • कैलिफोरियम(Californium): इसकी खोज 1950 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुई थी। इसकी कीमत करीब 170.91 करोड़ रुपए प्रति ग्राम है। कैलिफोरियम न्यूट्रॉन का एक अच्छा स्रोत है, जिसका इस्तेमाल न्यूक्लियर रिएक्टर में किया जाता है। ये एक टारगेट मटीरियल भी है, जो ट्रांसकैलिफोरियम धातु के उत्पादन में इस्तेमाल होता है। कैलिफोरियम-252 का इस्तेमाल सरवाईकल कैंसर के इलाज में भी होता है। 
  • हीरा (Diamond): हीरा पृथ्वी का एक दुर्लभ रत्न है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से आभूषणों में किया जाता है। एक आकलन के अनुसार, कुछ हीरे 3.2 अरब साल पुराने हैं। इनकी कीमत 34.81 लाख रुपए प्रति ग्राम है। हमेशा हीरे की पहचान गहनों से होती है। यह रत्न अपनी चमक और खूबसूरत डिजाइन के लिए लोकप्रिय है।  
  • ट्रिटियम (Tritium): ट्रिटियम विश्व की चौथी सबसे महंगी कमोडिटी में है। एक ग्राम ट्रिटियम की कीमत 18.9 लाख रुपए है। इसका इस्तेमाल मुख्यतः महंगी घड़ियों के निर्माण, दवा और रेडियो थेरपी में किया जाता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि कॉस्मिक रेडिशन, संयुक्त ड्यूटेरियम या नाइट्रोजन परमाणु से मिलता है तो दो अतिरिक्त न्यूट्रान्स और हाइड्रोजन न्यूक्लियस के उत्पादन के साथ ट्रिटियम का निर्माण होता है।   
  • टैफिट स्टोन (Taaffeite Stone): टैफिट स्टोन की पहचान एक रत्न के रूप में की गई है। यह दुर्लभ रत्न लाल और बैंगनी रंग का होता है। इस पत्थर की कीमत 12.6 लाख रुपए प्रति ग्राम है। ये हीरे के मुकाबले काफी मुलायम होता है। इसीलिए इसका इस्तेमाल सिर्फ एक रत्न के रूप में किया जाता है।  
  • पायनाइट: पायनाइट की खोज म्यांमार में 1950 में हुई थी। यह एक दुर्लभ कमोडिटी है जो लाल, गुलाबी और भूरे रंग का होता है। पायनाइट दुनिया में सबसे कम मिलने वाली कमोडिटी है। इसकी कीमत 5.9 लाख रुपए प्रति ग्राम है। इसका इस्तेमाल सिर्फ गहनों में ही किया जाता है। 
  • प्लूथोनियम: प्लूथोनियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा सयंत्रो और अंतरिक्ष यानों में किया जाता है। प्राकृतिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से इस तत्व का अस्तित्व में आना मुश्किल है। प्लूथोनियम को यूरेनियम से अलग करके निकाला जाता है। इसकी कीमत 2.5 लाख रुपए प्रति ग्राम है।

साभार: भास्कर समाचार
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