Monday, April 20, 2015

निर्मल भारत अभियान: शौचालय बने पैसा कमाने का जरिया

हरियाणा के ग्रामीण इलाकों के लोगों में अभी स्वच्छता के प्रति पूरी जागरूकता नहीं आ पाई है। सार्वजनिक और निजी शौचालय बनाने की योजनाएं अनुदान हासिल करने का जरिया भर बनकर रह गई हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी अनुदान हड़पने और योजना को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाने की लापरवाही में बराबर के हिस्सेदार हैं। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता के
प्रति लापरवाही और बजट में गोलमाल का खुलासा कैग ने अपनी रिपोर्ट में किया है। स्वच्छता योजनाओं के संचालन के लिए निर्धारित सवा सौ करोड़ रुपये से अधिक धनराशि बिना इस्तेमाल किए रह गई। कई जिलों में शौचालय बने नहीं तो कहीं अनुदान दो-दो बार हासिल कर लिया गया। कैग के जवाब मांगने पर अफसरों ने चुप्पी साध ली है। केंद्र सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता एवं महिला सुरक्षा के लिहाज से 1986 में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम की शुरुआत की थी। 1999 में इस कार्यक्रम को संशोधित कर संपूर्ण स्वच्छता अभियान का नाम दिया गया और 2012 में इसे निर्मल भारत अभियान में बदल दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता के लिए देश भर में एक बार फिर नए सिरे से माहौल तैयार किया है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक नतीजे अभी तक आने चालू नहीं हो पाए हैं।

स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों तक में नहीं बने शौचालय: निर्मल भारत अभियान के ही तहत राजकीय स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय बनाने का प्रावधान है। पांच साल के भीतर 45 ग्राम पंचायतों को 85 स्कूल-आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय निर्माण हेतु 27.15 लाख रुपये की राशि दी गई। 22 ग्राम पंचायतों में 15 शौचालय बनाए ही नहीं गए, जबकि 13 शौचालय अधूरे मिले।

शौचालय बने नहीं, अनुदान पहले दे दिया, फिर भी अधूरे: व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों के निर्माण में भी लोग जागरूक नहीं हैं। 2013-14 के दौरान पांच जिलों के नौ खंड निसिंग, इंद्री, जगाधरी,सढ़ोरा, हिसार-वन, फतेहाबाद, टोहाना, रानियां और एलनाबाद में 3.46 लाख रुपये का प्रोत्साहन उन 133 लाभार्थियों को दे दिया गया, जिन्होंने शौचालाय बनवाने शुरू भी नहीं किए। 95 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय अधूरे मिले। नियम शौचालाय बनने के बाद प्रोत्साहन राशि प्रदान किए जाने का है।

तीन जिलों के 83 मामलों में दोगुना अनुदान बांटा: हिसार, यमुनानगर और सिरसा जिलों में 83 केस ऐसे सामने आए, जिन्हें 3.10 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि का भुगतान दो बार कर दिया गया। 

पांच जिलों को आधार बनाकर कैग ने तैयार की रिपोर्ट: जून 2014 से सितंबर 2014 के बीच राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन तथा करनाल, यमुनानगर, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों की 96 ग्राम पंचायतों के साथ 10 खंड संसाधन केंद्रों के अभिलेखों की जांच की गई, जिसके आधार पर कैग ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। 

चार जिलों में नहीं बन पाए 113 स्वच्छता परिसर: निर्मल भारत अभियान के तहत करनाल को छोड़कर यमुनानगर, हिसार, फतेहाबाद व सिरसा में 196 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के स्थान पर सिर्फ 113 का ही निर्माण हुआ। 83 सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाए ही नहीं जा सके। इस अभियान के तहत इस योजना में गांव में किसी एक स्थान पर शौचालय सीट, स्नानघर, कपड़े धोने वाले प्लेटफार्म और वाश बेसिन बनाए जाते हैं।

साभार: जागरण समाचार
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