Sunday, April 26, 2015

इनकम टैक्स रिटर्न भरने जा रहे हैं तो जान लें ये जरूरी बातें

जब भी हम आयकर कानून की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले इसकी जटिलता का ख्याल आता है। आयकर विभाग ने आम जनता के लिए कर कानूनों को आसान बनाने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन अभी भी इस कानून में कई ऐसी बातें हैं जिनकी जानकारी आयकर दाता को नहीं होती है। अगर होती भी है तो वह उसे गलत तरीके से समझता है। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com हम आपको आयकर के कुछ आम प्रावधानों के विषय बता रहे हैं। यह आपको सही
आयकर रिटर्न भरने में सहायक होगा। 
नियोक्ता द्वारा टीडीएस काटा जाता है तो आयकर रिटर्न भरने की आवश्यकता है या नहीं: यह एक गलतफहमी है कि, नियोक्ता द्वारा टीडीएस काटा जाता है तो आपको अपना आयकर रिटर्न भरने की चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि वित्त वर्ष 2014-15 में आपकी कर योग्य आय 2,50,000 रुपए से अधिक है, तो आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य है। 
यदि आय पर पहले ही टैक्‍स (टीडीएस) काटा जा रहा है तो अतिरिक्त आयकर भरने की कोई आवश्यकता नहीं है: अधिकांश मामलों में, यह देखा गया है कि करदाता बचत खाते और एफडी पर मिलने वाले ब्याज, किराए से होने वाली आमदनी आदि का उल्‍लेख आयकर रिटर्न में नहीं करता है। जबकि आयकर रिटर्न भरते समय आयकर दाता को इन सभी बातों का जिक्र करना चाहिए और उसे इस पर अतिरिक्त आयकर अदा करना पड़ सकता है। 
क्‍या एचआरए के लिए छूट हमेशा उपलब्ध है: यदि करदाता अपने खुद के घर में रहता है या वह किसी को किराया नहीं देता है या उसी शहर में उसका घर है तो इस स्थिति में वह हाउस रेंट भत्‍ता (एचआरए) पर किसी भी छूट का दावा नहीं कर सकता है। 
बचत खाता और एफडी में जमा पर 10,000 रुपए की ब्याज आय के लिए कटौती का दावा: बचत बैंक खाता में जमा पर कमाई गई 10,000 रुपए की ब्याज आय कर से मुक्त है, लेकिन सावधि जमा के अंतर्गत प्राप्त ब्याज आयकर कानून के तहत कर योग्य है। 
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) पर मिलने वाला ब्याज आयकर से मुक्त है: एनएससी से मिलने वाले ब्याज पर कर वसूला जाता है। इसे कुल आय के हिस्से के रूप में मानना चाहिए। हालांकि, इसे दोबारा निवेश किया जाए तो यह धारा 80सी के तहत कर कटौती के योग्य है। 
यदि नियोक्ता द्वारा एचआरए नहीं चुकाया जाता अथवा यदि आप स्वरोजगार व्यक्ति हैं, तो चुकाये गए किराए के लिए कटौती की अनुमति नहीं होगी: एचआरए (स्वरोजगार अथवा अन्य) पर आयकर कानून की धारा 80जीजी के तहत कर कटौती उपलब्ध है। लेकिन चुकाए गए किराये की कटौती में कुछ शर्तें अनिवार्य हैं और अधिकतम कटौती 24,000 रुपए से अधिक नहीं हो सकती। 
सभी दान 100 प्रतिशत कर छूट के योग्य हैं: आम धारणा है कि सभी डोनेशन यानी दान 100 प्रतिशत छूट के योग्य होते हैं,लेकिन यह सच नहीं है। निजी धर्मार्थ संगठनों को किए गए अधिकांश दान में दान की गई राशि में 50 प्रतिशत की छूट मिलती है। 
दोस्त से नकद अथवा प्रॉपर्टी उपहार स्वरूप प्राप्त करने पर कोई कर चुकाना नहीं होगा: यदि वित्त वर्ष के दौरान यह राशि 50,000 रुपए से कम है तो आप सही हैं। लेकिन यदि राशि 50,000 रुपए से अधिक है तो पूरी राशि पर कर लगेगा। हालांकि, एक अच्छी खबर यह है कि शादी के अवसर पर किसी व्यक्ति से प्राप्त राशि/प्रॉपर्टी आय कर से पूरी तरह मुक्त होती है। 
साभार: भास्कर समाचार
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