प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों में हरियाणा
के छात्रों को शिक्षा नहीं मिलने से उच्चतर शिक्षा विभाग चिंतित है। इन
निजी विश्वविद्यालयों में कितने छात्र हरियाणा के पढ़ रहे हैं और एक्ट का
कितना पालन किया जा रहा है, इसका ब्योरा तैयार होगा। इसके लिए उच्चतर
शिक्षा विभाग 2006 से स्थापित इन निजी विश्वविद्यालयों का ऑडिट कराएगा। एक
महीने के अंदर उच्चतर शिक्षा विभाग एक उच्चस्तरीय कमेटी का
गठन करेगी। बता
दें कि हरियाणा में 17 निजी विश्वविद्यालय है। सबसे ज्यादा गुड़गांव में 08
निजी विश्वविद्यालय हैं। उच्चतर शिक्षा
विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन ने साफ किया है कि इस ऑडिट का
मकसद निजी विश्वविद्यालयों की फीस या इंटरनल स्ट्रक्चर में कोई हस्तक्षेप
नहीं किया जाएगा। ऑडिट में हरियाणा के छात्रों को विश्वविद्यालयों में
पढ़ने पर अधिक जोर होगा। निजी विश्वविद्यालयों को शिक्षा का जो दायित्व
सौंपा गया था, उसे देखा जाएगा। प्रत्येक विभाग में हरियाणा के छात्रों के
अलावा बाहरी छात्रों की संख्या, उनके शिक्षकों की गुणवत्ता और पीएचडी करने
वाले छात्रों की योग्यता भी जांची जाएगी। बता दें कि नियमानुसार हरियाणा के
आर्थिक रूप से कमजोर छात्र, गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले और अनुसूचित
जाति के छात्रों के लिए फीस में भी रियायत का प्रावधान है। प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट-2006 के तहत
स्वायत्तता प्रदान करने के साथ ही प्रत्येक क्लास में 25 फीसदी सीटों पर
हरियाणा के छात्रों का दाखिला देना जरूरी है। किसी अंतरराष्ट्रीय संस्थान
के साथ गठजोड़ होने की सूरत में यह 10 फीसदी हो जाता है, बावजूद इसके
प्राइवेट यूनिवसिर्टी 10 फीसदी सीटों पर हरियाणा के छात्रों का दाखिला नहीं
दे रहे हैं। इसे बिल्कुल खत्म करने के लिए आवेदन कर रहे हैं। इस पर विभाग
ने फिलहाल रोक लगा दी है।
उच्चतर शिक्षा विभाग प्रदेश भर में मौजूद कॉलेजों का मैपिंग कराएगा। हरेक
जिले में मैपिंग कर कॉलेजों की कमी और छात्रों की संख्या को देखा जाएगा।
इसके बाद वहां कोई नया कॉलेज की शुरुआत होगी। इस बात की जानकारी उच्चतर
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन ने दी। वह यहां
बृहस्पतिवार को सेक्टर-14 स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज के दीक्षांत समारोह
में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने आए थे।
उन्होंने
बताया कि अभी अमूमन यूनिवर्सिटी राजनीतिक घोषणा या सदन के प्रस्ताव पर हुआ
है। इससे कई जिलों में दस किलोमीटर के दायरे में दो से तीन कॉलेज है, जबकि
कई जिले में न तो कोई कॉलेज है और न ही यूनिवर्सिटी। कॉलेज के मामले में
क्षेत्रीय असंतुलन को देखते हुए यह मैपिंग की जा रही है। इसके बाद वहां
कॉलेज शुरू की जाएगी। मैपिंग में भौगोलिक, सामाजिक और छात्रों की संख्या के
आधार भी देखा जाएगा। मेवात का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया वहां कॉलेज
की कमी है। जबकि शिक्षा का स्तर बहुत खराब है।
लड़कियां पढ़ना चाहती है, लेकिन कॉलेज नहीं होने की वजह से छात्रों को
शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसे ध्यान में रखकर मैपिंग की जाएगी। एक महीने
में सभी जिले का रिपोर्ट तैयार हो जाएगा। इसके बाद मुख्य मंत्री और शिक्षा
मंत्री के साथ बैठक कर नए कॉलेज का प्लान किया जाएगा। शिक्षकों से जुड़े सवाल पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि छात्रों को
बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए शिक्षकों को अपडेट किया जाएगा। अपडेट करने के
लिए उच्चतर शिक्षा विभाग किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था की मदद लेगी। सेवा से
लेकर रिटायरमेंट तक के लिए एक पूरा खाका तैयार किया जा रहा है। जिससे वो
प्रोफेशनल कॉलेजों की तरह अपडेट रहे। खाली पदों के बारे में उन्होंने कहा
कि 6 महीने के अंदर प्रदेश के सभी कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती हो जाएगी।
इसके लिए आयोग को भर्ती के लिए लिखा जा चुका है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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