Sunday, April 19, 2015

यदि ख़राब ACR है तो बिना सूचना दिए नहीं रोकी जा सकती प्रमोशन

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने लेक्चरर को तरक्की नहीं देने के मामले में कहा है कि भले ही एसीआर खराब हो, लेकिन इसकी सूचना दिए बिना तरक्की से वंचित नहीं किया जा सकता। हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए जस्टिस अमित रावल ने अपने एक फैसले में लेक्चरर को तरक्की के बनते समय से पदोन्नति देने का निर्देश दिया है। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल यमुनानगर के केमिस्ट्री लेक्चरर
सर्वोदय कुमार ने एक याचिका दायर कर 19 अगस्त 1994 से तरक्की मांगी थी। उन्होंने कहा था कि उनके जूनियर महेश चंद्र अग्रवाल और महिंद्र प्रताप सिंह को 1994 में पदोन्नत कर दिया गया, लेकिन उन्हें उस वक्त तरक्की से वंचित रखा गया। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com इस लिहाज से उन्हें तरक्की से मिलने वाले लाभ भी नहीं मिल पाए। हालांकि, शिक्षा विभाग ने उन्हें 25 अक्तूबर 1995 को पदोन्नति दे दी, लेकिन एक साल के लाभ से वे वंचित रहे। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा तो सरकारी वकील ने कहा कि वर्ष 1994 में सर्वोदय का सर्विस रिकार्ड 70 प्रतिशत खराब था, लिहाजा उनकी तरक्की का प्रस्ताव नहीं भेजा गया। हाईकोर्ट ने शपथ पत्र मांगा तो डिप्टी डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन हरमहिंदर सिंह ने शपथ पत्र में कहा कि वर्ष 1994-95 का सर्विस रिकार्ड सही पाए जाने पर सर्वोदय को तरक्की दे दी गई थी। इसके साथ ही डिप्टी डायरेक्टर ने यह भी माना था कि वर्ष 1994 में रिकार्ड खराब था और तरक्की का प्रस्ताव नहीं भेजा गया। हालांकि, रिकार्ड खराब होने के बारे में सर्वोदय को सूचित नहीं किया गया। अधिकारी ने यह भी कहा था कि तरक्की का प्रस्ताव भेजने की जिम्मेवारी सब डिवीजनल एजुकेशन अफसर पीएल बब्बर की बनती थी और वे 31 दिसंबर 2000 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेक्चरर की तरक्की की डीलिंग सहायक धर्मबीर ढांडा करते हैं और सर्वोदय को खराब एसीआर की सूचना नहीं देने और केस नहीं भेजने के कारण कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले हरियाणा पुलिस के सब इंस्पेक्टरों की तरक्की के मामले में हाईकोर्ट पहले ही कह चुका है कि सर्विस रिकार्ड खराब होने की सूचना दिए बगैर तरक्की से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस रावल की बेंच ने महसूस किया कि इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। बेंच ने कहा है कि सूचना दिए बगैर तरक्की से वंचित रखना गलत है और सरकारी वकील भी इस बात की हामी भर चुके हैं। इस आब्जर्वेशन के साथ बेंच ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि सर्वोदय कुमार को 19 अगस्त 1994 से तरक्की दी जाए और इसी हिसाब से सभी लाभ 12 सप्ताह के भीतर दिए जाएं। यह भी कहा कि यदि इस अवधि के दौरान सर्वोदय को भुगतान नहीं हुआ तो वह वित्तीय लाभ के अलावा इस लाभ पर साढे़ सात प्रतिशत सालाना दर के हिसाब से ब्याज का हकदार भी होगा।
साभार: अमर उजाला समाचार
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