रोहतक के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट से 13 कश्मीरी छात्रों
को निकालने के मामले का महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने संज्ञान लिया है।
विवि प्रशासन ने कॉलेज को नोटिस देकर छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के
निर्देश दिए हैं। उधर, कालेज प्रबंधन ने भी छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के
लिए बीच का रास्ता खोजना
शुरू कर दिया है। कश्मीरी छात्र शुक्रवार को जिला
उपायुक्त से मिले और समस्या का समाधान निकालने की गुहार लगाई। जानकारी के
अनुसार वर्ष 2013 में जम्मू-कश्मीर के 23 छात्रों का दाखिला रोहतक के
मकड़ौली कलां स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में हुआ। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com इन
छात्रों ने इसलिए यहां पर दाखिला लिया ताकि उनकी पढ़ाई का खर्च नहीं लगे।
उनको प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रवृत्ति मिलनी थी।
इसके लिए एआइसीटीई ने एचआरडी को रिपोर्ट भेजी। किन्हीं कारणों से सिर्फ 10
छात्रों को ही ग्रांट मिलना शुरू हुआ जबकि 13 छात्र बिना छात्रवृत्ति के ही
पढ़ने लगे। इसी बीच कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को फीस नहीं देने के आरोप
में निकाल दिया। इसके बाद छात्र विश्वविद्यालय की शरण में चले गए। छात्र
इरफान अहमद, नासिर सोफी, तोसिफ अहमद लोन, मोहम्मद आसिफ भट्ट, ओवेस मकबूल,
पीरजादा आमिर, जावेद अहमद, शहनवाज नसीद, जहूर अहमद मीर, सुहैल अहमद, तारीफ
अब्दुला, उबैद और इशफाक का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने उनका नाम काटकर
उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। अगले माह ही उनकी परीक्षा होने वाली
है। शुक्रवार को डीसी से मुलाकत कर इन छात्रों ने आरोप लगाया कि उनसे
प्रति छात्र 40 हजार रुपये एक सेमेस्टर के व एक छात्र से 48 हजार रुपये
प्रतिवर्ष हॉस्टल का चार्ज मांगा जा रहा है। वे किसी भी स्थिति में फीस या
हॉस्टल चार्ज नहीं दे सकते।
हॉस्टल 10 हजार रुपये के लायक भी नहीं: कॉलेज
में जो हॉस्टल बने हैं उसमें सुविधाएं नाकाफी हैं। छात्रों का आरोप है कि
कबाड़ जैसे हॉस्टल का चार्ज 40 हजार रुपये मांग जा रहा है, जबकि वह 10 हजार
रुपये के लायक भी नहीं है।
मजबूरन काटना पड़ा नाम: कॉलेज प्रबंधक के अनुसार 2013
में जब 23 छात्रों का दाखिला किया गया था तब उनको बता दिया गया था कि अगर
छात्रवृत्ति नहीं मिलती है तो उनको फीस जमा करनी पड़ेगी। एक सेमेस्टर का 36
हजार रुपये चार्ज है। इस संबंध में कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इसमें से
10 छात्रों का तो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने छात्रवृत्ति के
लिए स्वीकृति दे दी, लेकिन 13 छात्रों को इस सुविधा के लिए अयोग्य ठहरा
दिया। कहा जा रहा है कि बार-बार नोटिस जारी करने के बाद भी छात्र फीस या
हॉस्टल चार्ज जमा नहीं कर रहे थे। इस संबंध में मानव संसाधन मंत्री स्मृति
इरानी, एचआरडी राज्य मंत्री डॉ. रामशंकर कठेरिया, प्रदेश के एचआडी मंत्री
उपेंद्र कुशवाहा व एनएचआरडी, स्कॉलरशिप ब्रांच के निदेशक को 23 जनवरी को ही
सूचना दे दी गई थी। हम चाहते हैं कि हमारे छात्र वापस आएं। हमने तो उनसे
महज 50 प्रतिशत फीस व यहां पर खाना खाने का चार्ज ही मांगा था। फिर भी नहीं
माने। इसके कारण मजबूरी में नाम काटना पड़ा। वे हमसे में मिले तो बीच का
रास्ता निकाल लिया जाएगा। अगर उनको छात्रवृति नहीं मिल रही है तो उसमें
हमारी क्या गलती है। हम उनसे तो अपना खर्च ही मांग रहे हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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