Friday, April 17, 2015

नेट न्यूट्रलिटी: जानिए मुद्दे को विस्तार से

नेट न्यूट्रैलिटी, एयरटेल ज़ीरो, फ्लिपकार्ट और सेव द इंटरनेट। ये चंद नाम सुर्खियों में हैं। दरअसल पिछले दिनों एयरटेल ने ई-रिटेलर फ्लिपकार्ट सहित कुछ कंपनियों के साथ जीरो प्लान के लिए करार किया। इसके तहत कुछ एेप्स एक्सेस करने के लिए यूज़र को कोई चार्ज नहीं देना होता। इसके बजाय एयरटेल कंपनियों से ही सीधे चार्ज लेती। इस प्लान का इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध कर दिया। सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलने लगे। विरोध बढ़ने पर फ्लिपकार्ट ने
इस प्लान से अपने हाथ ही खींच लिए। नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में गुरुवार तक 6 लाख लोगों ने टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई को ईमेल भी कर दिए। जानिए, आखिर क्या है नेट न्यूट्रैलिटी का यह मुद्दा? 
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी: 
  • Net Neutrality यानी अगर आपके पास इंटरनेट प्लान है तो आप हर वेबसाइट पर हर तरह के कंटेंट को एक जैसी स्पीड के साथ एक्सेस कर सकें।
  • Neutrality के मायने ये भी हैं कि चाहे आपका टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कोई भी हो, अाप एक जैसी ही स्पीड पर हर तरह का डेटा एक्सेस कर सकें।
  • कुल मिलाकर, इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह की कोई रुकावट न हो।
  • Net Neutrality टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल सबसे पहले 2003 में हुआ। तब काेलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम वू ने कहा था कि इंटरनेट पर जब सरकारें और टेलीकॉम कंपनियां डेटा एक्सेस को लेकर कोई भेदभाव नहीं करेंगी, तब वह Net Neutrality कहलाएगी।
कैसे उठा मामला: एयरटेल ने अपने यूज़र्स के लिए ‘एयरटेल ज़ीरो’ प्लान का फ्लिपकार्ट जैसी कुछ कंपनियों के साथ करार किया। बताया गया कि यह प्लान लेने से यूज़र्स कुछ ऐप्स का फ्री में इस्तेमाल कर पाएंगे। ऐसी एप्स का चार्ज यूज़र से न लेकर उन कंपनियों से लिया जाएगा जिनका एयरटेल से करार होगा। इसका इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध किया। सोशल साइट्स पर #savetheinternet जैसे कैम्पेन शुरू हुए। मामला इतना उठा कि कई लोगों ने फ्लिपकार्ट के एप्स ही डिलीट कर दिए। 
सोशल मीडिया पर कैसी आई प्रतिक्रिया: इंटरनेट कम्युनिटी ने तीन मुद्दे उठाए हैं: 
पहला -आजादी यानी हर तरह की वेबसाइट या हर तरह का डेटा एक्सेस करने की आजादी हो। 
दूसरा - इक्वालिटी यानी आप कुछ भी एक्सेस करें, आपको नेट की स्पीड एक जैसी मिले। 
तीसरा - फ्यूचर, क्योंकि इंटरनेट एक्सेस अब लग्जरी नहीं, बल्कि यूटिलिटी की कैटेगरी में आता है।
नेट कम्युनिटी के लोगों ने यह मुद्दा उठाया कि चूंकि एयरटेल ने फ्लिपकार्ट के साथ डील की है, इसलिए एयरटेल का प्लान लेने वाले लोग बाकी शॉपिंग साइट्स या उनके एप्स को उसी स्पीड से नहीं खोल पाएंगे। यानी फ्री इंटरनेट प्लान लेने वाले यूज़र्स सिर्फ फ्लिपकार्ट या किसी एक कंपनी पर ही शॉपिंग करने पर मजबूर हो जाएंगे। ऐसा हुआ तो यह बदतर एक्सपीरियंस देगा। क्योंकि No Internet से भी ज्यादा खराब Slow Internet का एक्सपीरियंस होगा। यह वैसे ही होगा जैसे Amusement Park की एंट्री फीस चुकाने के बाद भी आपको हर एक Joy Ride के लिए अलग से टिकट लेना पड़े। 
कैसे काम करेगा यह मॉडल: कई कंपनियां टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ डील करेंगी। वे उन्हें पेमेंट करेंगी ताकि नेट पैक लेने वाले उनकी साइट्स या एप्स पर फ्री एक्सेस कर सकें। फेसबुक और रिलायंस का इंटरनेट डॉट ओआरजी भी ऐसा ही प्लान है। नेट कम्युनिटी का दावा है कि अगर कंपनियों ने ये मॉडल अपनाया तो या तो उन यूज़र्स को हर एक्स्ट्रा साइट या एप्प के लिए अलग चार्ज देना होगा या उन्हें नेट की स्पीड काफी कम मिलेगी। 
विरोध के बाद पीछे हटी कंपनियां: 
  • सोशल मीडिया पर विरोध के बाद फ्लिपकार्ट ने ज़ीरो प्लान से हाथ खींच लिए।
  • 51 हजार लोगों ने फ्लिपकार्ट के एप की रेटिंग घटाकर 1 कर दी थी। हजारों लोगों ने एप ही डिलीट कर दिया था।
  • क्लियरट्रिप कंपनी ने भी इंटरनेट डॉट ओआरजी से खुद को अलग कर लिया।
टेलीकॉम कंपनियां क्या चाहती हैं? 
  • सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने ट्राई को यह दलील दी है कि भारत में कोई भी कंपनी तभी इंटरनेट टेलीफोनी सर्विस मुहैया करा सकती है जब उसे इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन-4 के तहत स्पेशल लाइसेंस मिला हो।
  • लिहाजा स्काइप, फेसबुक, वॉट्सएप जैसी कंपनियां तकनीकी तौर पर बिना लाइसेंस के सेवाएं दे रही हैं।
  • टेलीकॉम कंपनियों की यह भी दलील है कि वे डेटा यूसेज से पैसा कमाती हैं लेकिन बैंडविड्थ का उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता। सोशल साइट्स और ई-कॉमर्स कंपनियां टेलीकॉम कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती हैं लेकिन अपने रेवेन्यू में उन्हें कोई शेयर नहीं देतीं।
  • हालांकि, दावा यह भी है कि बड़ी टेलीकॉम कंपनियां का डेटा सर्विसेस से रेवेन्यू पिछले साल के हर क्वार्टर में बढ़ा है। इसकी वजह यह भी है कि अगले 5 साल में 3जी और 4जी मोबाइल हैंडसेट की बिक्री बढ़ने के साथ ही डेटा यूसेज के सेगमेंट में भी जबर्दस्त उछाल आने वाला है।
TRAI ने क्या किया: 
  • टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने इस बारे में 27 मार्च को कंसल्टेशन पेपर अपनी साइट पर डाला लेकिन यह 108 पन्नों का है।
  • इसमें 20 तरह के सवालों के जवाब लोगों से मांगे गए। कई अवेयरनेस ग्रुप ने इन्हें सिम्प्लीफाई करने के टूल्स भी बना लिए हैं।
  • इस पेपर के खिलाफ विचार-शिकायत दर्ज कराने के लिए 24 अप्रैल की डेडलाइन तय की गई थी।
  • ट्राई ने अब यह भी कहा है कि पहली नजर में तो एयरटेल ज़ीरो और फेसबुक व रिलायंस का इंटरनेट डॉट ओआरजी जैसे प्लान नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ हैं।


साभार: भास्कर समाचार
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