शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली की वजह से अभिभावकों को काफी परेशानी
उठानी पड़ रही है। शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 134ए के तहत निजी
स्कूलों में बच्चों का निश्शुल्क दाखिला करवाना प्रारंभिक चरण में जी का
जंजाल बन गया है। वहीं निजी स्कूल संचालक दाखिले के नाम पर अभिभावकों से
मुंह मांगी फीस वसूल रहे हैं। इन दोनों ही मामलों में निजी स्कूल संचालकों
की मनमर्जी जारी है। अभी तक न तो उन्होंने आरक्षित सीटों की सूची नोटिस
बोर्ड पर चस्पा की है और न ही फार्म-6 भरकर शिक्षा विभाग में जमा करवाया
है। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com बृहस्पतिवार को जागरण संवाददाता ने हिसार के निजी स्कूलों का दौरा किया।
इस दौरान नोटिस बोर्ड पर आरक्षित सीटों संबंधित सूचना चस्पा नहीं मिली।
इसके बाद खंड शिक्षा विभाग में जाकर देखा तो वहां भी ऐसी कोई सूची चस्पा
नहीं मिली, जो निजी स्कूलों में आरक्षित सीटों की जानकारी मुहैया करवाने
में मददगार साबित हो। ऐसे में विभाग में मौजूद एक अधिकारी से संपर्क किया।
उन्होंने बताया कि इक्का-दुक्का स्कूलों ने जानकारी मुहैया करवाई है। अन्य
अभी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा वहां एक अभिभावक धारा 134ए का
फार्म लेकर पहुंच गए। उन्हें अधिकारी ने जवाब दिया कि फार्म के साथ
माता-पिता के आधार कार्ड, स्थानीय प्रमाण-पत्र सहित इंकम प्रूफ की कॉपी
संलग्न कर जमा करवाए। इस पर अभिभावक ने जवाब दिया कि फार्म में स्पष्ट
लिखा है कि उपरोक्त संबंधित दस्तावेज दाखिला के समय जमा करवाए जाए। अभी साथ
नहीं लाए है। काफी दूर से आए हैं। ऐसे में आने-जाने में काफी समय लगेगा।
ऊपर से आर्थिक व मानसिक परेशानी ङोलनी पड़ेगी। पर, अधिकारी को अभिभावक की
दुविधा से क्या लेना-देना था। उन्हें कहा कि दस्तावेज संलग्न करने के बाद
ही फार्म लेंगे। यही स्थिति अन्य निजी स्कूलों में देखने को मिल रही है।
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साभार: जागरण समाचार
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