इमली का इस्तेमाल हम कई ख़ास चीज़ें बनाने के लिए करते हैं। पानीपूरी
का पानी तैयार करना हो, चटनी बनानी हो या खट्टे-खट्टे सांभर का स्वाद लेना
हो, इमली सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाती है। खान-पान में इमली के महत्व को
लगभग हर कोई जानता है, लेकिन इमली के आयुर्वेदिक गुणों को बहुत कम लोग ही
जानते हैं। इमली का वानस्पतिक नाम टैमेरिन्डस इंडिका है। आदिवासी हर्बल
जानकार इमली को अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर अपनाते हैं। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com चलिए
आज जानते
हैं इमली से जुड़े कुछ अजब-गजब हर्बल नुस्खों के बारे में:
गले की खराश: पत्तियों को कुचलकर रस तैयार करके कुल्ला किया जाए, तो गले की खराश
दूर हो जाती है। पकी हुई इमली के फलों का रस भी कुल्ला किया जाए तो समस्या
में आराम मिलता है।
दस्त: इमली के बीजों को भूनकर पीस लिया जाए और इसकी 3 ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी के साथ लेने से दस्त में आराम मिलता है।
घाव सुखाने के लिए: पातालकोट में आदिवासी इमली की पत्तियों का रस घाव पर लगाते हैं। माना जाता है कि यह रस घाव के जल्दी सूखने में मददगार होता है।
भूख ना लगना: पके हुए इमली के फलों को पानी के साथ मसलकर रस तैयार किया जाता है और
हल्की सी मात्रा में काला नमक डालकर सेवन किया जाए तो भूख लगने लगती है।
रोजाना दो बार ऐसा करने से भूख ना लगने की शिकायत दूर हो जाती है।
पीलिया: इमली की पत्तियों और फूल को इकट्ठा कर पानी के साथ उबालकर काढ़ा तैयार
किया जाता है और इस काढ़े का सेवन पीलिया से ग्रसित व्यक्ति को दिया जाता
है। माना जाता है कि इस काढ़े का सेवन हफ्ते तक दिन में दो बार करने से
काफी फायदा मिलता है।
बुखार में राहत: पके हुए इमली के फलों के रस की करीब 15 ग्राम मात्रा बुखार से ग्रसित
रोगी को दी जाए, तो बुखार उतर जाता है। डांग गुजरात के आदिवासी मानते हैं
कि इस रस के साथ इलायची और कुछ मात्रा में खजूर भी मिला दिया जाए, तो
ज्यादा असर होता है।
जलन की समस्या: पातालकोट में आदिवासी हर्बल जानकार इमली की पत्तियों को मिट्टी के
बर्तन में भून लेते हैं। जब पत्तियां जल जाती हैं, तो इन्हें रगड़कर चूर्ण
तैयार कर लिया जाता है। एक चम्मच तिल के तेल में करीब 4 ग्राम जली हुई
पत्तियों के चूर्ण को मिलाकर जले हुए शारीरिक अंग पर लगाने से जलन शांत
होती है और घाव जल्दी सूखता है।
दर्द और सूजन से निजात: इमली की पत्तियों को पानी के साथ कुचलकर लेप तैयार किया जाए और जोड़
दर्द वाले हिस्सों या सूजन वाले अंगों पर लगाकर सूती कपड़े से बांधकर रखा
जाए, तो दर्द अथवा सूजन में तेजी से आराम मिलता है।
पुरुषों के लिए फायदेमंद: डांग- गुजरात के आदिवासी अजवायन, इमली के बीज और गुड़ की समान मात्रा
लेकर घी में अच्छी तरह भून लेते हैं और फिर इसकी कुछ मात्रा प्रतिदिन उन
पुरुषों को देते हैं, जो बच्चा पैदा नहीं कर पा रहे। इन आदिवासियों के
अनुसार ये मिश्रण पौरुषत्व बढ़ाने के साथ-साथ शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने
में भी मदद करता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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