Wednesday, April 8, 2015

प्रॉपर्टी डीलरों पर कसेगा शिकंजा, पेश होगा विधेयक

रीयल एस्टेट कंपनियों और प्रापर्टी डीलरों के मनमाने रवैये पर लगाम लगाने के लिए पिछले तीन वर्षो से नियामक एजेंसी गठित करने की योजना अब जाकर परवान चढ़ सकेगी। राजग सरकार ने पूर्व संप्रग सरकार की तरफ से राज्य सभा में पेश रीयल एस्टेट (नियमन और विकास) विधेयक, 2013 में आवश्यक संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
मौजूदा सत्र में पेश होगा विधेयक: विधेयक संसद के इसी सत्र
में पेश होगा और यह रीयल क्षेत्र में एक नियामक एजेंसी के गठन का रास्ता साफ कर देगा। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com यह नियामक एजेंसी ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के साथ ही रीयल एस्टेट उद्योग के कामकाज को ज्यादा पारदर्शी बनाने में मददगार साबित होगा।
काफी हद तक खत्म हो जाएगी धोखाधड़ी: इसका एक अहम प्रावधान यह है कि जैसे की किसी परियोजना का पंजीयन करवाया जाएगा, उसके 15 दिनों के भीतर उसकी कुल लागत का 50 फीसद हिस्सा एक खास बैंक खाते में जमा कराना होगा। इस खाते से ही परियोजना को पूरा किया जाएगा।
काला धन लगाने वालों पर भी नकेल: सरकार ने रीयल एस्टेट में काला धन लगाने वालों की नकेल कसने की भी व्यवस्था की है। जब हर परियोजना और उसमें लगने वाली राशि का हिसाब-किताब सरकार के पास होगा तो फंड के स्रोत का पता लगाना आसान हो जाएगा। छद्म नाम से रीयल एस्टेट में पैसा लगाने वाले अब ऐसा नहीं कर सकेंगे।
हर राज्य में गठित होगा नियामक: हर राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में रीयल एस्टेट नियामक का गठन होगा। कुछ मामलों में दो राज्यों को मिला कर भी एक नियामक एजेंसी का गठन हो सकता है।
एजेंटों को कराना होगा पंजीकरण: इस विधेयक का सबसे बड़ा काम यह होगा कि रीयल एस्टेट से जुड़ी हर एजेंसी, हर परियोजना और ब्रोकर्स के तौर पर काम करने वाले एजेंटों को नियामक एजेंसी से पंजीयन करवाना होगा।
हर बात की देनी होगी जानकारी: नियामक एजेंसी के पास हर रीयल एस्टेट परियोजना से जुड़ी हर तरह की छोटी बड़ी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इसमें जमीन की जानकारी से ले कर एजेंट, प्लानिंग, आर्किटेक्चर आदि सभी जानकारी देनी होगी। 
साभार: जागरण समाचार
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