सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता खारिज करने की याचिका को विचार के लिये स्वीकार कर लिया है। अब अदालत के सामने नीतीश के खिलाफ एक स्थानीय कांग्रेस नेता की
हत्या के लंबित आपराधिक मामले का आरोप लगाया गया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जस्टिस दीपक मिश्र, अमिताव रॉय और एएम खानविलकर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा की तत्काल सुनवाई की अपील पर मंगलवार को कहा कि वह इस मामले को देखेगी। वह देखेगी कि इस मामले को सुनवाई के लिये कब सूचीबद्ध किया जा सकता है।
विगत सोमवार को दायर की गई याचिका में आरोप लगाया है कि जद यू नेता नीतीश कुमार के खिलाफ स्थानीय कांग्रेस नेता सीताराम सिंह की हत्या और चार अन्य को घायल करने का आरोप है। यह वारदात 1991 में लोकसभा उप चुनाव के दौरान बाढ़ संसदीय क्षेत्र में हुई थी। याचिकाकर्ता ने इस मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ सीबीआइ को एफआइआर दर्ज करने का निर्देश देने की भी अपील की है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि नीतीश कुमार के आपराधिक मामले को जानते हुए भी चुनाव आयोग ने उनकी सदन की सदस्यता रद नहीं की। खुद नीतीश भी अब तक अपने संवैधानिक पद का लाभ ले रहे हैं। वकील शर्मा ने चुनाव आयोग के वर्ष 2002 के दिशा-निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्याशियों को अपने नामांकन में अपने खिलाफ हरेक आपराधिक मामले की भी जानकारी देना अनिवार्य है। नीतीश कुमार ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की जानकारी वर्ष 2004 से नहीं दी थी।
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साभार: जागरण समाचार
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