चीन ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि डोकलाम को लेकर उसका भूटान के साथ विवाद है। साथ ही उसने भारत को सलाह दी है कि वह इस मामले में तीसरे पक्ष के तौर न कूदे। चीन ने भारत से बिना शर्त क्षेत्र से अपनी
सेना हटाने को कहा। गौरतलब है कि चीन अब तक डोकलाम को अपना क्षेत्र बताता था और इस विवाद के संदर्भ में भूटान का जिक्र करने से भी बचता था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रलय ने बुधवार को कहा कि चीन और भूटान का सीमा विवाद दोनों देशों के बीच है। चीन का भूटान के साथ कोई विवाद नहीं है और दोनों देश सीमा मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं। चीन ने कहा कि भारत को तीसरे पक्ष के रूप में चीन और भूटान के बीच सीमा बातचीत में दखल नहीं देना चाहिए। डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर उसने भारत को पहले ही बता दिया था।
चीन ने कहा है कि संबंधों को सामान्य बनाने के ठोस प्रयास के तौर पर भारत डोकलाम से सेना हटाए। गतिरोध खत्म करने के लिए कोई शर्त न जोड़ी जाए। भारत के 400 सैनिक बुलडोजर लेकर घुसे हैं, बावजूद इसके चीन संयम दिखा रहा है। चीनी विदेश मंत्रलय ने 28 जुलाई को एनएसए अजीत डोभाल की अपने चीनी समकक्ष यांग जिएची से बीजिंग में हुई बातचीत के बाद ये बातें कही हैं। वार्ता में जिएची ने अनुरोध किया कि भारत चीन की संप्रभुता का सम्मान करे और अंतरराष्ट्रीय कानून को मानते हुए तत्काल वहां से सेना हटाए। भारत की स्थिति विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बहस के दौरान साफ कर दी है कि भारत की सेना तभी वापस आएगी जब चीन की भी पूर्व स्थिति में लौटेगी। इसके बाद डोकलाम पर दोनों देश वार्ता करेंगे। भारत ने चीन को बताया है कि इलाके में सड़क का निर्माण वहां की स्थिति में बदलाव का संदेश देगा। वह इलाका भारत, भूटान और चीन के मध्य का इलाका है। इस क्षेत्र से भारत के सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं, इसलिए वह वहां पर कोई परिवर्तन नहीं चाहता है।
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साभार: जागरण समाचार
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