Thursday, August 3, 2017

निजता की सुरक्षा मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

सार्वजनिक क्षेत्र में निजी सूचनाओं के दुरुपयोग की आशंका पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तकनीकी युग में निजता की सुरक्षा हारी हुई लड़ाई लड़ने जैसा है। निजता के अधिकार पर सुनवाई करते हुए नौ
न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह टिप्पणी की है। बुधवार को इस मुद्दे पर बहस पूरी हो गई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अब कोर्ट तय करेगा कि निजता का अधिकार मौलिक है कि नहीं। इस मामले में फैसला 27 अगस्त से पहले आने की उम्मीद है। संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर उस दिन रिटायर हो रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। निजता के अधिकार की कानूनी स्थिति तय होने के बाद पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। आधार को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की दलील है कि इसके लिए बायोमीटिक डाटा एकत्र करने से उनके निजता के अधिकार का हनन होता है। दो पूर्व फैसलों में आठ और छह न्यायाधीशों की पीठ कह चुकी है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। ऐसे में भारत सरकार और याचिकाकर्ताओं ने यह मामला बड़ी पीठ के पास भेजने की अपील की थी। इस पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया गया था।  
सरकार की दलील: सरकार ने निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने का विरोध करते हुए कहा कि यह कॉमन लॉ में आता है। निजता हर मामले की परिस्थितियों आदि के आधार पर तय होती है। इसे मौलिक अधिकार मानने को लेकर संविधान सभा में बहस हुई थी। संविधान निर्माताओं ने जान-बूझकर इसे मौलिक अधिकार में शामिल नहीं किया था। अब अगर कोर्ट इसे मौलिक अधिकार घोषित करता है, तो यह एक प्रकार से संविधान संशोधन, होगा जिसका उसे अधिकार नहीं है। सरकार ने यह भी कहा था कि आंकड़े एकत्रित करना निजता के तहत नहीं आता। भारत की ज्यादातर आबादी गरीब है। निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने से गुड गवर्नेस के लिए किए जा रहे प्रयास रुक जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
  • कैसे परिभाषित किया जाएगा निजता के अधिकार को और क्या होगा दायरा। इसे मौलिक अधिकार माना गया तो किस आधार पर दी जाएगी चुनौती?
  • फैसला लेने का हर अधिकार निजता का अधिकार नहीं हो सकता। यह प्रत्येक मामले पर अलग-अलग निर्भर करेगा।
  • मेरा बच्चा स्कूल जाएगा, ये मेरी पसंद है। ये निजता में नहीं आएगा। लेकिन मैं बेडरूम में क्या करता हूं ये निजता का अधिकार होगा। 
  • स्वतंत्रता का हर पहलू निजता का अधिकार नहीं होता। निजता का अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार का एक छोटा हिस्सा है।
याचिकाकर्ताओं की दलील: याचिकाकर्ताओं का कहना था कि निजता सम्मान से जीवन जीने के मौलिक अधिकार का ही एक हिस्सा है। जब मुख्य अधिकार मौलिक अधिकार है तो उसका हिस्सा भी मौलिक अधिकार ही माना जाएगा। कोर्ट अपने कई फैसलों में निजता के अधिकार को मान्यता दे चुका है। निजता को स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
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साभार: जागरण समाचार 
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