Wednesday, July 19, 2017

हाई कोर्ट के फैसले के बाद छिनी चार सीपीएस की कुर्सी, एजी की सलाह पर खुद सौंपे इस्तीफे

खट्‌टर सरकार में जुलाई 2015 में नियुक्त चारों मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) ने मंगलवार को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। सीमा त्रिखा ने ई-मेल से और श्याम सिंह राणा, बख्शीश सिंह विर्क, डॉ. कमल गुप्ता ने
सीएम मनोहर लाल को उनके आवास पर जाकर अपने-अपने इस्तीफे सौंपे। सूत्रों के अनुसार, सोमवार को सीएम ने एडवोकेट जरनल (एजी) बलदेव राज महाजन के साथ हाईकोर्ट के फैसले के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की थी। सूत्रों के मुताबिक एजी ने सीएम को बताया कि सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई फायदा नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के द्वारा पंजाब के सीपीएस की नियुक्ति खारिज करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने का भी हवाला दिया। इस बैठक के बाद सीएमओ की तरफ से चारों सीपीएस को संकेत दे दिया गया था कि उन्हें पद छोड़ना पड़ सकता है। इस बीच, मंगलवार को कैबिनेट की बैठक से पहले भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री खट्‌टर से फोन पर बात की।  
सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान ने कहा कि पार्टी इसे आगे नहीं ले जाना चाहती। इसलिए सीपीएस के मुद्दे को यहीं खत्म किया जाए। इसके बाद कैबिनेट बैठक में सीपीएस को पद छोड़ने को कह दिया गया और शाम तक चारों सीपीएस ने इस्तीफा दे दिया। स्टाफ और गाड़ियां भी लौटा दीं। हिसार विधायक कमल गुप्ता ने कोठी भी खाली कर दी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व से बात के बाद ये फैसला लिया गया। गौरतलब है कि 5 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियां खारिज कर दी थीं। सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 3 सप्ताह का समय मिला था, लेकिन पार्टी हाईकमान से मिले निर्देश और कानूनी पहलुओं को देखते हुए सरकार ने कदम पीछे खींचना ही बेहतर समझा। पिछली कांग्रेस सरकार में सीपीएस नियुक्तियों का भाजपा विरोध करती रही थी। 
सीपीएस को वेतन-भत्तों में विधायकों से करीब ~ 37,000 प्रतिमाह ज्यादा मिलते थे। इनके लिए 1.75 करोड़ रु. प्रति वर्ष स्वैच्छिक ग्रांट का भी प्रावधान था। स्टेटस मंत्रियों वाला था। सेक्रेटेरिएट में ऑफिस, कोठी, सरकारी गाड़ी स्टाफ दिया जा रहा था। ग्रीवांस कमेटियों की मीटिंग भी लेते थे। फाइलें देखते और अफसरों को निर्देश भी देते थे। 
मंत्रियों जैसा रुतबा था, 2 साल में कुर्सी गई: चारों सीपीएस इस्तीफे के बाद विधायक वाली श्रेणी में गए हैं। इन्हें फिर से विधानसभा की विभिन्न कमेटियों में स्थान मिलेगा। अब तक सरकार का हिस्सा होने की वजह से इन्हें कमेटियों से अलग रखा गया था। सूत्रों की मानें तो कैबिनेट बैठक में तय हुआ है कि जल्द ही 4-5 बोर्डों के चेयरमैनों का एेलान किया जाएगा। इन्हें उनमें एडजेस्ट किया जा सकता है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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