Wednesday, July 19, 2017

सहारनपुर दंगों पर बोलते बोलते मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफ़ा

बसपा की खिसकती जमीन को बचाने के लिए पार्टी प्रमुख मायावती ने एक नया राजनीतिक दांव चला है। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के दलित कार्ड से तिलमिलाई मायावती ने दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले को
मुद्दा बनाकर मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने कहा कि मैं दलित समाज से आती हूं। और जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती हूं, तो मेरे यहां होने का क्या लाभ है? मंगलवार की सुबह विपक्ष तैयारी के साथ संसद आया था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। विपक्षी सांसद बैनर के साथ मौजूद थे। कार्यवाही शुरू होते ही सरकार पर आरोपों की झड़ी लगने लगी। जवाब सरकारी पक्ष की ओर से भी आया। राज्यसभा में तब सनसनी फैली जब मायावती इस्तीफे की धमकी दे दी। दरअसल, सहारनपुर दंगे के बाबत उपाध्यक्ष ने उन्हें कुछ मिनटों में भाषण खत्म करने को कहा। वक्त गुजरा तो घंटी बजाकर उन्हें इसकी याद दिलाई गई। इस पर मायावती आपा खो बैठीं। उन्होंने तैश में उपसभापति पर बरसते हुए कहा, ‘जब आप मुङो सदन में बोलने नहीं देते हैं तो मैं इस्तीफा दे देती हूं।’ उसी अंदाज में वह सदन छोड़कर चली गईं। कांग्रेस और वाम दल के सदस्यों ने भी मायावती के साथ ही सदन छोड़ दिया। इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती ने उपसभापति का अपमान किया है, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। बसपा प्रमुख ने विधिवत अपना इस्तीफा शाम को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को सौंप दिया।   
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साभार: जागरण समाचार 
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