Saturday, July 1, 2017

'लिबर्टी' और 'फ्रीडम' दो एकदम अलग बातें हैं: ऐसे जानिए फर्क

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
गुरुवार को मैं इस अखबार के एक आयोजन के लिए दोपहर की फ्लाइट से नागपुर जा रहा था। इस यात्रा ने मुझे अच्छी तरह यह याद दिला दिया कि मैं महाराष्ट्र के बहुत प्रभावशाली शहर में जा रहा हूं। हां, प्रभावशाली,
क्योंकि इसी शहर ने राज्य को मौजूदा मुख्यमंत्री दिया है। चूंकि मैं या तो 'दूधवाला' (जल्दी सुबह) या 'बूथवाला' (देर रात) की फ्लाइट में यात्रा करता हूं, तो मुझे ज्यादातर यात्री नींद पूरी करने के लिए बेताब दिखते हैं। लोग ज्यादा बातें नहीं करते। किंतु दोपहर की उड़ान की बात अलग थी। लोग बहुत मुखर थे और लोग सत्ता के गलियारों से अपने संबंधों की शेखी बघार रहे थे- मेरा मतलब है कि सीधे मुख्यमंत्री से नाता जोड़ रहे थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उस फ्लाइट में सवार ज्यादातर लोग मुख्यमंत्री के बचपन या युवा अवस्था से संबंध बता रहे थे। वे उन दिनों की उनसे जुड़ी घटनाओं और उनके साथ बिताए समय को याद कर रहे थे। वे यह सब ऊंची आवाज में बता रहे थे ताकि मेरे जैसे लोग सुन सकें। फिर जीएसटी का मुद्‌दा उठा, जिसे शुक्रवार मध्यरात्रि से लागू किया गया। ज्यादातर लोग इसका विरोध कर रहे थे। इसे अमल में लाने के लिए नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि वह उनके लिए किसी लिहाज से असुविधाजनक है, जिससे वे अब तक वाकिफ नहीं थे। जाहिर है 'ऊंची अावाज' में बात करने वाले यही दावा कर रहे थे कि उन्होंने तो अपने सुझाव सीधे मुख्यमंत्री को दे दिए थे।  
इस बीच टेक-ऑफ हो गया। हवाई में जेट स्ट्रिमिंग सुविधा होने का मतलब था विमान के हवा में आने और सीट बेल्ट लगाने का संकेत चले जाने के बाद आप अपने हैंडसेट को वाईफाई कनेक्शन से जोड़कर अपनी पसंद की कोई भी फिल्म और कार्यक्रम देख सकते हैं। जैसे ही यह सुविधा शुरू हुई और घोषणा हो गई; कई मोबाइल पसंद के कार्यक्रमों के साथ ऑन हो गए और कई मोबाइल फोन से निकली आवाजें टकराने लगीं। कुछ लोग एक ही कॉमेडी शो मिलकर देख रहे थे और जोर-जोर से हंसकर अन्य यात्रियों को डिस्टर्ब कर रहे थे, जो सोना या पढ़ना चाहते थे। 
एक यात्री ने चालक दल के सदस्य से शिकायत की और फिर व्यक्तिगत हैड फोन इस्तेमाल करने का अनाउंसमेंट कई बार दोहराया गया ताकि अन्य यात्री डिस्टर्ब हो लेकिन, उन लोगों ने इस उद्‌घोषणा की अनदेखी कर दी, जिनके तार 'सत्ता' से जुड़े थे। यहां तक कि इस बात को लेकर हुए झगड़े में मोबाइल फोन की आवाज धीमी करने से इनकार करने वाले वाले यात्री ने यह तक कहा, 'हमें तो इतनी भी आज़ादी नहीं है कि हम अपनी पसंद की फिल्म देख सकें, जबकि इसकी सुविधा मौजूद है।' 
इन असहनीय आवाजों से विरोध करने वाला यात्री इतना विचलित हो गया कि उसने खड़े होकर ताली बजाकर सहयात्रियों का ध्यान खींचा और कहा, 'जीएसटी तो कुछ ऐसा ही है जैसा आपमें से ज्यादातर लोग कर रहे हैं। आपको जेट स्ट्रिमिंग पर पसंद का कार्यक्रम देखने की स्वतंत्रता है, ठीक वैसे ही जैसे आप देश में कोई भी बिज़नेस कर सकते हैं। लेकिन आपको हैडफोन इस्तेमाल करने होंगे, क्योंकि अापको दूसरे को परेशान करने की आज़ादी नहीं है। जीएसटी भी यही कहता है कि आप कोई भी बिज़नेस करें लेकिन, वह व्यवस्थित रूप से एक संरचना के तहत ऐसा करें। मेरा निवेदन है कि आप ईयरफोन लगा लें और संगीत का आनंद ले, मतलब अपने बिज़नेस का आनंद लें ताकि विमान का हर यात्री शांति से यात्रा कर सके।' जो अपना संबंध सत्ता के गलियारों से जुड़े होने की शेखी बघार रहे थे उनके चेहरे गुस्से से लाल हो गए। 
फंडा यह है कि हमें कोई भी व्यवसाय करने का 'फ्रीडम' है, पर नियमों का पालन किए बिना उन्हें चलाने की 'लिबर्टी' नहीं है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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