Sunday, July 9, 2017

अब हिंदी में पढ़ सकेंगे शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जेल डायरी, 404 पन्नों में लिखी बातों का हिंदी में कराया अनुवाद

"लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा, मैं रहूं या ना रहूं पर ये वादा है तुमसे मेरा कि, मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा"…देशभक्ति से लबरेज ये पंक्तियां शहीद आजम भगत सिंह द्वारा जेल में लिखी गई डायरी में
अंकित हैं। ये चंद पंक्तियां उनके देशभक्ति के जज्बे को बयां करती हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भगत सिंह ने लाहौर जेल में जो कठिन दिन गुजारे उसका हर लम्हा इस 404 पेज की डायरी में कैद है। उनकी इस ऐतिहासिक डायरी की सभी बातें जल्द ही हिंदी भाषा में लोगों के सामने होंगी। अंग्रेजी और उर्दू में लिखी गई इस डायरी का उनके वंशज हिंदी में अनुवाद करा चुके हैं। अब इसे पब्लिश करने की तैयारी चल रही है। सितंबर में भगत सिंह की जयंती पर भोपाल में इस डायरी की लाॉचिंग होगी। 
भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक लेखक भी थे। जेल के दौरान भगत सिंह ने जो जेल डायरी लिखी थी। वह इंग्लिश में थी। उसमें उर्दू भाषा का भी बहुत प्रयोग किया गया है। यह डायरी अंग्रेजी में पहले ही छप चुकी है। लेकिन हिंदी में नहीं थी। इस किताब में एक तरफ उनकी डायरी के प‍न्नों की स्कैन कॉपी होगी तो दूसरी तरफ सामने के पेज पर हिंदी अनुवाद होगा। भगत सिंह द्वारा लिखी गई मूल डायरी उनके भतीजे बाबर सिंह के पास थी। उनके देहांत के बाद अब यह डायरी बाबर सिंह के बेटे यादवेंद्र संधू के पास है। संधू फरीदाबाद में रहते हैं। संधू का कहना है कि अब तक भगत सिंह के बारे में जो भी किताबें हैं, उसमें लेखकों के विचारों की भी छाया दिखती है। जबकि इस डायरी के माध्यम से उनके खुद के लिखे विचार पढ़ने को मिलेंगे। 
भगत सिंह ने लाहौर सेंट्रल जेल में 404 पेज की डायरी लिखी थी। डायरी के हर पन्ने पर वतनपरस्ती झलकती है। आजाद भारत के सपने को लेकर उन्‍होंने लाहौर जेल में जो कठिन दिन गुजारे, उसका हर लम्‍हा इस डायरी के हर पेज पर कैद है। यह डायरी अंग्रेजी और उर्दू में लिखी गई है। भगत सिंह ने लाहौर सेंट्रल जेल प्रशासन से डायरी मांगी थी। इसमें वह कुछ लिखना चाहते थे। 12 सितंबर 1929 को जेल प्रशासन ने डायरी दी थी। इसमें भगत सिंह ने जेल में बिताए कठिन पल क्रांतिकािरयों के संघर्ष के बारे में जो शब्द लिखे, वे आज इतिहास बन गए हैं। 
भगत सिंह की डायरी में क्या: सिर्फ 23 साल की छोटी सी उम्र में बड़े-बड़े काम करने वाले भगत सिंह के पूरे व्यक्तित्व की झलक इस डायरी में देखी जा सकती है। गजब की हैंडराइटिंग के साथ उनकी अंग्रेजी के साथ-साथ उर्दू भाषा पर पकड़ भी थी। इसमें अमेरिकी, रूसी और फ्रांसीसी क्रांतियों के बारे में भी लिखा है। उन्होंने अमेरिकी कवि जेम्‍स लावेल रसेल की कविता 'फ्रीडम' भी लिखी है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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