Thursday, July 20, 2017

हुड्‌डा ने पद का दुरुपयोग कर एजेएल को लाभ पहुंचाया: ईडी; सुनवाई 31 अगस्त तक स्थगित

पंचकूला में नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लाॅट आवंटन मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने पद का दुरुपयोग किया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में
बुधवार को पेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हलफनामे में यह कहा गया है। ईडी के डिप्टी डायरेक्टर एसके कांतीवाल की तरफ से दायर जवाब के मुताबिक अनियमितताएं बरती गईं। एजेएल को लाभ पहुंचाया गया। इससे राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचा। करोड़ों का प्लाॅट महज 59 लाख रुपए में रि-अलॉट कर दिया गया, जबकि याची (एजेएल) योग्य ही नहीं था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ईडी के इस जवाब पर अब याची पक्ष (कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा) को अपना जवाब दायर करना है। इसके लिए जस्टिस एके मित्तल जस्टिस अमित रावल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। एजेएल के चेयरमैन कम एमडी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के ट्रेजर मोती लाल वोरा और एजेएल की तरफ से कोर्ट से मनी लाॅन्डरिंग केस खारिज करने की मांग की गई है। इस सिलसिले में दायर अलग-अलग याचिकाओं में कहा गया कि ईडी ने हाल ही में वोरा और हुड्डा से मामले में पूछताछ की थी। ईडी को जांच रोकने के निर्देश दिए जाएं। 
भाजपा सरकार सत्ता में आने के बाद एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी थी। विजिलेंस ने हुडा के तत्कालीन चेयमैन पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। सीबीआई इस मामले में भ्रष्टाचार अनियमितता की जांच कर रही है, जबकि ईडी मनी लाॅन्डरिंग की। दोनों एजेंसियां आरोपियों के कई ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी हैं।

ईडी की पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सीनियर एडवोकेट सतपाल जैन ने कहा कि हुड्डा ने पाॅलिसी की अनदेखी कर प्लाॅट अलाॅट करवाया। प्लाॅट पर कंस्ट्रक्शन के लिए तीन बार समय बढ़ाया गया। पहले एक मई 2008 फिर 14 फरवरी 2011 और 10 मई 2012 को समय बढ़ाया गया। 2014 में निर्माण समाप्त हुआ। प्लाॅट रिसॉर्ट कर गलत ढंग से दोबारा अलाॅट किया गया। 
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि याची जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। एजेएल को बोर्ड की मिनट्स ऑफ मीटिंग सौंपने के लिए कहा गया, लेकिन पांच सितंबर 2005 को महज एक मीटिंग के मिनट्स दिए गए। यही नहीं, इससे पहले भी प्लाॅट को िरसॉर्ट करने की मांग की गई थी, लेकिन बंसी लाल के मुख्यमंत्री रहते यह मांग स्वीकार नहीं की गई। याची ने इन तथ्यों की जानकारी कोर्ट में नहीं दी। ऐसे में जांच रोकने की उनकी याचिका खारिज की जाए। ईडी ने 15 जुलाई 2016 को केस दर्ज किया था कि हुडा ने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर एजेएल को आउट ऑफ टर्न प्लाॅट अलाॅट कर कन्सेशन और अवैध ढंग से एक्सटेंशन दी। हुड्डा उस समय सीएम होने के साथ हुडा के चेयरमैन भी थे। एजेएल को 1982 में अलॉट प्लॉट की लीज 1996 में खत्म हो गई थी। उसके बाद बंसी लाल की सरकार गई। 2005 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने एजेएल को वह प्लॉट फिर से अलॉट कर दिया। विजिलेंस ब्यूरो ने मई 2016 में हुड्डा और चार अफसरों पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। आरोप था कि हुडा के तत्कालीन चेयरमैन और अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों से राज्य को भारी नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि प्लॉट को खुली बोली के माध्यम से बेचा जाना चाहिए था। प्लॉट 496 स्केवयर मीटर से लेकर 1280 स्केवयर मीटर तक के थे, जिसके लिए हुडा के पास 582 आवेदन आए थे। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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