हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में तैनात 500 टीजीटी शिक्षकों को 14 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आखिर अपना हक मिल ही गया है। शिक्षा विभाग इन टीजीटी शिक्षकों को ज्वाइनिंग डेट से नियमिति लाभ देने
के लिए तैयार हो गया है। नियुक्तियों का ये मामला वर्ष 2002 का है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग में 500 टीजीटी शिक्षकों को नियुक्त किया गया। इनकी नियुक्तियां अधीनस्थ चयन सेवा बोर्ड हमीरपुर के द्वारा की गई। सत्ता परिवर्तन होने के बाद इन शिक्षकों को ज्वाइनिंग नहीं दी गई। मामला कोर्ट में पहुंचा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 2003 से शिक्षकों ने अपने हक लेने के लिए कोर्ट में मामले को चुनौती दी। सरकार ने नियुक्ति की डेट से रेगुलर अन्य सेवा लाभ की मांग की। कोर्ट के आदेशों के बाद इन शिक्षकों को 2008-09 में नियुक्तियां दी गई लेकिन अनुबंध आधार पर। कोर्ट के निर्देश के बाद वर्ष 2008, 2009 में टीजीटी मेडिकल और नॉन मेडिकल और बाद में 2012 में टीजीटी आर्ट्स नियुक्ति नियमित करके अनुबंध आधार पर दी गई। इन अध्यापकों ने उस अनुबंध नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती दी। तर्क दिया उनका चयन वर्ष 2002 के आरएंडपी नियमों के तहत हुआ है। नियुक्ति की नियमित प्रकृति को नहीं बदल जा सकता।
सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी। 30 मई 2015 को कोर्ट को फिर सरकार की बात में कोई दम नहीं दिखा और सरकार की पैटिशन फिर रद्द कर दी। सरकार को पुरानी जजमेंट को मानने के आर्डर दिए। फिर कोर्ट की अवमानना की पैटिशन लगाई गयी। 8 नवंबर 2016 को सरकार ने माना की उन सभी पेटिशनर्स को रिलीफ दे दिया है। अब शिक्षा विभाग इन टीचरों को सभी लाभ बैक डेट से देने के लिए तैयार हो गया है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र, मिल्लत, अमित शर्मा, सुशील चौहान, बाबू लाल धर्माणी, अनुराग वधान, रजनीश ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि विभाग कोर्ट के आदेशों के बाद सभी पैटिशर्न को उनके स्कूलों में ये आदेश जल्द भेजे।
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साभार: भास्कर समाचार
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