‘आधार’ नंबर पाने के लिए गलत सूचना देने वालों की खैर नहीं। ऐसे लोगों को तीन साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ सकती है। खास बात यह है कि अगर कोई कंपनी या व्यक्ति आधार नंबर धारक किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी लीक करता है तो उसे भी तीन साल का कारावास हो सकता है।
इतना ही नहीं अब किसी भी तरह की सरकारी सब्सिडी का लाभ आधार नंबर के बगैर नहीं मिलेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि अगर किसी व्यक्ति के पास ‘आधार’ नंबर है तो महज उसके आधार पर वह भारतीय नागरिकता का दावा नहीं कर सकेगा।
धन विधेयक के तौर पर किया पेश: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को लोक सभा में आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाएं) विधेयक 2016 पेश किया। जेटली ने यह विधेयक धन विधेयक के तौर पर लोक सभा में पेश किया है। इसका मतलब यह है कि राज्य सभा में बहुमत न होने के कारण अब यह विधेयक उच्च सदन में रुक नहीं सकता। राज्य सभा को एक निश्चित अवधि में इसे पारित करना होगा।
विधेयक की धारा 34 के अनुसार आधार नंबर के लिए गलत जानकारी देने पर या दूसरे के नाम से फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को तीन साल की सजा के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ेगा। वहीं इस तरह के मामलों में कंपनियों पर जुर्माने की राशि एक लाख रुपये तक होगी।
विरोध में खड़ी हुई कांग्रेस: जेटली जब इस विधेयक को पेश करने को खड़े हुए तो कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजद के भर्तृहरि माहताब ने इसका विरोध किया। सिंधिया ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने भी यह विधेयक पेश किया था। इसके बाद यह स्थायी समिति के पास गया। कई सिफारिशें आई हैं। इसलिए इसे धन विधेयक के तौर पर पेश नहीं किया जाना चाहिए। यह संसद के दोनों सदनों के पास जाना चाहिए। कांग्रेस नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने भी कहा कि इसे धन विधेयक के तौर पर पेश नहीं करना चाहिए। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने भी कई विधेयकों को धन विधेयक के तौर पर पेश किया है। इसमें वर्कमेन एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस बिल प्रमुख हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि संविधान में धन विधेयक का प्रावधान है, इसलिए इस विधेयक को इस श्रेणी में पेश करना अनुचित नहीं है। बीजू जनता दल के सदस्य भृतहरि माहताब ने नियम 72 का हवाला देते हुए कहा कि अगर सदस्य किसी विधेयक के पेश होने का विरोध करते हैं तो लोक सभा अध्यक्ष उन्हें बोलने का मौका दे सकती हैं। माहताब ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में पेश विधेयक के कई प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए स्थायी समिति ने सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में नागरिकों की निजता की हिफाजत का सवाल उठाते हुए सरकार से पर्याप्त उपाय करने को कहा। उल्लेखनीय है कि आधार की शुरुआत पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने की थी। अब तक लगभग 100 करोड़ लोगों को आधार नंबर मिल चुके हैं। आधार परियोजना पर सरकार अब तक 13,663 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।
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साभार: जागरण समाचार
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