देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने छह माह के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। अदालत ने कन्हैया पर कुछ शर्तें भी लगाई हैं, जिसमें पुलिस को जांच में सहयोग करना शामिल है। उसकी जमानत संबंधी औपचारिकताएं बृहस्पतिवार को ही पूरी होंगी, जिसके बाद वह जेल से बाहर आएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया कि पुलिस के पास ऐसा कोई वीडियो नहीं है, जिसमें कन्हैया देश विरोधी नारेबाजी करता नजर आता हो। पुलिस ने वीडियो को ही आधार बनाकर यह मामला दर्ज किया था। अदालत ने 29 फरवरी को दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कन्हैया का जमानती फैकल्टी सदस्य होगा ताकि उस पर नजर रखी जा सके। कोर्ट ने कहा कि याची की मां आंगनबाड़ी में कार्यरत है और माह में मात्र तीन हजार रुपये ही कमा पाती है, इसके ध्यानार्थ उसे दस हजार रुपये का मुचलका भरने का निर्देश देते हैं।
अदालत ने कन्हैया को निर्देश दिया कि वह पुलिस को जांच में सहयोग करे। इसके अलावा वह किसी भी प्रकार से देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त न हो। वह जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष होने के नाते यह भी सुनिश्चित करे कि परिसर में किसी भी प्रकार की देश विरोधी गतिविधियां न हों। इसके अलावा वह बिना इजाजत देश से बाहर न जाए। कन्हैया की और से जमानत की औपचारिकताएं बृहस्पतिवार को पटियाला हाउस अदालत में मजिस्ट्रेट के समक्ष पूरी की जाएंगी। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ही जेल से उसे रिहा करने के लिए आदेश जारी किया जाएगा। यानी कन्हैया बृहस्पतिवार को ही जेल से रिहा हो पाएगा।
बचाव पक्ष के तर्क: बचाव पक्ष ने तर्क रखा था कि यह सारी घटना नौ फरवरी को शाम साढ़े चार से साढ़े सात के बीच की है। उस समय दिल्ली पुलिस सादे लिबास में कैंपस में मौजूद थी। लड़ाई की सूचना पाकर कन्हैया कुमार वहां पहुंचा था। अगर वह वहां राष्ट्रविरोधी नारेबाजी कर रहा था तो उसे तभी गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। वहां मौजूद पुलिस वालों का बयान क्यों नहीं लिया गया। बचाव पक्ष ने सवाल उठाया था कि केस दर्ज करने के लिए पुलिस दो दिन तक जी न्यूज की फुटेज का इंतजार क्यों करती रही। वीडियो टेप से भी छेड़छाड़ की गई थी। इस सीडी की अभी तक कोई फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं है। जी न्यूज ने सीडी के साथ जो कवरिंग लैटर भेजा है उसमें भी कन्हैया का नाम नहीं है। इस कार्यक्रम का आयोजन कन्हैया ने नहीं किया था। कार्यक्रम के लिए उमर खालिद ने जेएनयू प्रशासन से अनुमति मांगी थी।
सरकारी पक्ष के तर्क: बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि कन्हैया का 11 फरवरी का बयान राजनीति से प्रेरित था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जब उसने देखा कि उसका देशद्रोही व राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाला फुटेज चल रहा है तो उसने अपना बयान बदलते हुए दूसरा बयान दिया।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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