Thursday, March 3, 2016

ईपीएफ पर टैक्स के निर्णय को वापस ले सकती है सरकार

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर टैक्स लगाने के प्रस्ताव को लेकर सरकार के अंदर मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है और इसे संसद में बजट पर बहस से पहले भी वापस लिया जा सकता है। लेकिन इस फैसले की घोषणा सदन में ही की जाएगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस मामले में निर्णय जल्द ही ले लिया जाएगा लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा संसद में ही की जाएगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक किसानों और ग्रामीणों पर फोकस वाले इस बेहतरीन बजट की आलोचना सिर्फ इसी प्रस्ताव की वजह से हो रही है। दो केंद्रीय मंत्रियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इसकी पुष्टि की और कहा कि ईपीएफ से निकासी की शर्त पर कर लगाने का प्रस्ताव वापस लिया जा सकता है। बुधवार को ईपीएफ पर टैक्स हटाने के बारे में जब वित्त मंत्री अरुण जेटली से पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री के कहने पर वह इस प्रस्ताव को वापस लेंगे तो उनका जवाब सकारात्मक था। हालांकि, उन्होंने इस बारे में आगे कुछ भी बताने से इनकार करते हुए कहा कि जो भी घोषणा होगी, संसद में होगी। उन्होंने यह सफाई भी दी कि ईपीएफ पर टैक्स लगाने का मकसद राजस्व वसूली को बढ़ाना नहीं बल्कि अधिक से अधिक लोगों को पेंशन एवं बीमा केदायरे में लाना है। जेटली ने बताया कि राजस्व विभाग ने पेंशन योजना एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) और ईपीएफ के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया है और उसके बाद ही ईपीएफ पर कर लगाने का फैसला हुआ। कर लगाने की सरकार की मंशा राजस्व वसूली बढ़ाने की नहीं बल्कि अधिक से अधिक लोगों को बीमा और पेंशन के दायरे में लाना है। बजट प्रावधानों में यह व्यवस्था की गई है कि यदि ईपीएफ से निकाले गए पैसों का निवेश एन्युइटी में किया जाता है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री के इस प्रावधान से मजदूर संगठनों में जबरदस्त उबाल है। जेटली ने कहा कि इस पर समाज केविभिन्न वर्गों से सरकार के पास कुछ प्रतिक्रियाएं आई हैं, कुछ सुझाव आए हैं। इस पर सरकार विचार कर रही है। लेकिन, इस तरह के सवालों का जवाब वह संसद में ही देना चाहेंगे।
वित्त मंत्री पर दिखा चौतरफा दबाव का असर: ईपीएफ से निकासी पर कर लगाने के प्रस्ताव की चौतरफा आलोचनाओं से वित्त मंत्री कितने चिंतित हैं, इसकी झलक उद्योगपतियों से मुलाकात में भी दिखी। इस दौरान उद्योगपतियों द्वारा बिना किसी संबंधित सवाल के, खुद ही कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के कर प्रस्ताव पर बोलना शुरू कर दिया। ईपीएफ की निकासी के वक्त 60 फीसदी हिस्से पर टैक्स लगाने के प्रस्ताव के बारे में उन्होंने बताया कि यह कदम ऊंचे वेतन पाने वाले लोगों को लक्ष्य कर उठाया गया है। महीने में 15 हजार का वेतन पाने वालों पर यह नियम लागू नहीं होगा। उनके मुताबिक 3.7 करोड़ सदस्यों वाले ईपीएफ में करीब तीन करोड़ सदस्य इसी श्रेणी के हैं।
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साभार: अमर उजाला समाचार 
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