हरियाणा में जातीय उन्माद के बाद पहली बार हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में गैर जाट विधायक अपनी ही पार्टी के जाट मंत्रियों और जाट विधायकों पर पूरी तरह से हमलावर नजर आए। गैर जाट विधायकों ने जाट मंत्रियों और विधायकों के साथ-साथ पार्टी हाईकमान को भी खरी-खरी सुनाई। गैर जाट विधायक तीखी
आवाज में हमले बोलते रहे और जाट मंत्री व विधायक चुपचाप बैठे सुनते रहे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में करीब चार घंटे तक चली विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु अपनी-अपनी बात कहते हुए रो पड़े। कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद राजकुमार सैनी के समर्थन में खड़े सभी गैर जाट विधायकों ने हाईकमान को दो टूक कह दिया कि ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण से छेड़छाड़ हुई तो इसका खुलकर विरोध होगा। विधायकों ने कहा कि यदि सैनी का निलंबन हुआ तो उसका खुला विरोध होगा। सैनी पर कार्रवाई से पहले केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्याण पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने हरियाणा आकर भड़कीले भाषण दिए। विधायकों ने बैठक में सरकार पलटने की साजिश की आशंका जाहिर करते हुए यहां तक कह दिया कि अपनी सरकार के मंत्रियों की संलिप्तता भी इसमें रही होगी। विधायकों ने सरकार और हाईकमान दोनों पर पिछले 15 सालों में हरियाणा में दी गई नौकरियों पर व्हाइट पेपर (श्वेत पत्र) जारी करने का दबाव बढ़ा दिया। विधायकों की दलील है कि इन 15 सालों में हरियाणा में सबसे अधिक नौकरियां जाट समुदाय के लोगों को मिली हैं, जिनका सच सामने आना चाहिए। अहीरवाल के विधायकों ने सबसे अधिक आग उगलते हुए जाट मंत्रियों को अधिक महकमे देने पर भी सवाल खड़े किए। विधायकों ने यहां तक कहा कि दो मंत्रियों ने पूरी सरकार को हाईजैक कर लिया है। यह अब चलने नहीं देंगे। कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ चुपचाप सुनते रहे।
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साभार: जागरण समाचार
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