हरियाणा के सरकारी विभागों के अधिकारी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशों को
ही ठेंगा दिखा रहे हैं। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण ने तो हद ही कर दी
है। मुख्यमंत्री कार्यालय से बीते जनवरी महीने में प्रेरक शिक्षकों को 20
महीनों का रुका मानदेय देने के आदेश के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं
हुई। सरकार की ओर से
वेतन के लिए बजट भी जारी हो चुका है। प्राधिकरण के
अधिकारियों की मनमानी के कारण ही प्रेरक शिक्षक हाईकोर्ट में जाने को विवश
हुए हैं। प्रेरक शिक्षकों ने सरकार से न्याय न मिलने पर बकाया मानदेय के
लिए हरियाणा के मुख्य सचिव, महानिदेशक सेकेंडरी शिक्षा, अतिरिक्त निदेशक
साक्षरता शाखा व सहायक प्रोजेक्ट मैनेजर साक्षर भारत मिशन को कानूनी नोटिस
भेजा है। नोटिस के माध्यम से मानदेय न देने का कारण पूछा गया है। मानदेय न
देने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई या क्यों नहीं हुई,
इसकी भी जानकारी मांगी गई है। बकाया मानदेय 24 प्रतिशत ब्याज सहित देने
एवं आर्थिक व मानसिक शोषण के हर्जाना के रूप में 20 हजार रुपये प्रति
प्रेरक मांगे गए हैं। प्रेरक संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष भगवत कौशिक ने
बताया कि बकाया मानदेय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जाएगी।
साक्षर भारत मिशन प्राधिकरण के अधिकारी मनमाना रवैया अपनाए हुए हैं। पिछले
एक साल से वे मानदेय को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार कोई ध्यान
नहीं दे रही।
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साभार: जागरण समाचार
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