लोन लेकर कार खरीदने वाले कुछ व्यक्तियों के साथ समय पर किस्त
चुकाने की मुश्किलें आती हैं। आम तौर पर आर्थिक परेशानी इसका कारण होता है।
होम लोन के बाद किसी भी व्यक्ति के मंथली बजट में सबसे अहम चीज कार लोन
ही है और जाहिर है आप इस पर जान-बूझ कर कोई डिफॉल्ट नहीं करना चाहेगा। इसकी
दो वजह हैं। एक तो इससे क्रेडिट रिकॉर्ड पर बुरा असर होता है, साथ ही
ग्राहक को अपनी कार भी गंवानी पड़ती है। अब सवाल उठता है कि डिफॉल्ट आखिर
कब होता है। क्या जब आप एक ईएमआई के पेमेंट में देरी करेंगे या फिर
एक-दो
महीने भुगतान नहीं करेंगे तो इसे डिफॉल्ट माना जाएगा। तब क्या आपकी कार
ज़ब्त कर ली जाएगी। और, अगर कोई ग्राहक कार की ईएमआई दे पाने में असमर्थ होता है तो उसके
पास क्या रास्ते होते हैं। आइए, जानते हैं कि ईएमआई न दे पाने की स्थिति
में बैंकों से किस तरह बातचीत के जरिए इसका समाधान ढूंढा जा सकता है।
कब होता है कार लोन डिफॉल्ट: तकनीकी रूप से कार लोन डिफॉल्ट तब होता है जब ग्राहक कर्जदाता को
तयशुदा लोन का पेमेंट करने में एक से ज्यादा बार चूक करता है। कितने ईएमआई
का भुगतान न करने पर डिफॉल्ट माना जाएगा यह सारी बातें आमतौर पर लोन लेते
समय किए गए एग्रीमेंट में इस बात का साफ-साफ जिक्र किया गया होता है। इसमें
आपके कार लोन के रिपेमेंट की शर्तें और डिफॉल्ट होने की स्थिति के बारे
में विस्तृत जानकारी दी जाती है। इसमें जोखिम और डिफॉल्ट की स्थिति में
उठाए जाने वाले संभव उपाय भी बताए जाते हैं। डिफॉल्ट जैसे टर्म का कोई निश्चित अर्थ नहीं है, इसका इस्तेमाल
अलग-अलग संदर्भ में किया जाता रहा है। वैसे इसका सामान्य मतलब है कि आपको
लोन की एक या फिर एक से ज्यादा किस्त की रिपेमेंट करने में 30, 60 या फिर
90 दिन की देर हो जाए।
बैंक को अपनी परिस्थितियों की दें जानकारी: दिक्कत तब शुरू होती है जब आप को लगता है कि कार लोन की पेमेंट करने में आप असमर्थ हैं और इसके चलते आप कर्जदाता को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं। ज्यादातर बैंक और दूसरे कर्जदाता ईएमआई के पेमेंट से जुड़ी समस्याओं का समाधान परिस्थितियों के हिसाब से निकालते हैं। ऐेसे में जब आपको यह महसूस होने लगे कि ईएमआई का पेमेंट करने में आपको दिक्कत आ सकती है तो आप ईमानदारी से अपने कर्जदाता या फिर बैंक को कॉल कर उसे पेमेंट में देरी की वजह साफ-साफ बता दें। वैसे बैंकों को पेमेंट में विलंब की वजह तो हजारों लोगों ने बताई हो सकती लेकिन आपको ईमानदार रहने का फायदा मिल सकता है। ऐसे में आप उनके साथ मिलकर सहमति से कोई और रास्ता खोज निकालेंगे।
बैंक को अपनी परिस्थितियों की दें जानकारी: दिक्कत तब शुरू होती है जब आप को लगता है कि कार लोन की पेमेंट करने में आप असमर्थ हैं और इसके चलते आप कर्जदाता को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं। ज्यादातर बैंक और दूसरे कर्जदाता ईएमआई के पेमेंट से जुड़ी समस्याओं का समाधान परिस्थितियों के हिसाब से निकालते हैं। ऐेसे में जब आपको यह महसूस होने लगे कि ईएमआई का पेमेंट करने में आपको दिक्कत आ सकती है तो आप ईमानदारी से अपने कर्जदाता या फिर बैंक को कॉल कर उसे पेमेंट में देरी की वजह साफ-साफ बता दें। वैसे बैंकों को पेमेंट में विलंब की वजह तो हजारों लोगों ने बताई हो सकती लेकिन आपको ईमानदार रहने का फायदा मिल सकता है। ऐसे में आप उनके साथ मिलकर सहमति से कोई और रास्ता खोज निकालेंगे।
इन सबके अलावा भी आपके पास कई विकल्प मौजूद हैं। अपनी कार हाथ से तब तक मत जाने दीजिए जब तक कि आप इन विकल्पों को आजमा न लें।
रिपेमेंट न कर पाने की दशा में आजमाएं ये उपाय:
अपने बैंक या कर्जदाता से अपने लोन की अवधि बढ़ाने को कहें। उदाहरण के तौर पर अगर आपके लोन की अवधि 36 माह की है तो इसे 48 माह करने का अनुरोध करें। इससे हर महीने आपको कम ईएमआई देनी पड़ेगी।
अपने कर्जदाता या बैंक से ईएमआई डेफर करने का अनुरोध करें। इससे आपको मौजूदा माह की ईएमआई का पेमेंट बाद में करने की अनुमति मिल सकती है। आप अपने बैंक या कर्जदाता को समझाएं कि मौजूदा माह की ईएमआई का भुगतान बाद में करने से आपको बाकी का भुगतान करने में काफी सुविधा होगी।
कोशिश करें कि आपका कर्जदाता या बैंक ईएमआई जाने की तारीख को हमेशा के लिए बदल दे।
ईएमआई का भुगतान देरी से करने पर लेट चार्ज देना पड़ता है। अगर आपको लगता है कि ईएमआई में देरी के कारण आपका लेट चार्ज बढ़ गया है तो आप अपने कर्जदाता को इसे माफ करने को हैं। इससे आपको समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी और बैंक ऐसा करने के लिए तैयार हो सकता है।
रिपेमेंट न कर पाने की दशा में आजमाएं ये उपाय:
अपने बैंक या कर्जदाता से अपने लोन की अवधि बढ़ाने को कहें। उदाहरण के तौर पर अगर आपके लोन की अवधि 36 माह की है तो इसे 48 माह करने का अनुरोध करें। इससे हर महीने आपको कम ईएमआई देनी पड़ेगी।
अपने कर्जदाता या बैंक से ईएमआई डेफर करने का अनुरोध करें। इससे आपको मौजूदा माह की ईएमआई का पेमेंट बाद में करने की अनुमति मिल सकती है। आप अपने बैंक या कर्जदाता को समझाएं कि मौजूदा माह की ईएमआई का भुगतान बाद में करने से आपको बाकी का भुगतान करने में काफी सुविधा होगी।
कोशिश करें कि आपका कर्जदाता या बैंक ईएमआई जाने की तारीख को हमेशा के लिए बदल दे।
ईएमआई का भुगतान देरी से करने पर लेट चार्ज देना पड़ता है। अगर आपको लगता है कि ईएमआई में देरी के कारण आपका लेट चार्ज बढ़ गया है तो आप अपने कर्जदाता को इसे माफ करने को हैं। इससे आपको समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी और बैंक ऐसा करने के लिए तैयार हो सकता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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