हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा नतीजों में
बेटियों ने भले ही लड़कों को पछाड़ दिया हो, लेकिन देश की करीब 52.2 फीसदी
लड़कियां बीच में ही अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ दे रही हैं। अनुसूचित जाति और
जनजाति की करीब 68% लड़कियां स्कूल में दाखिला तो लेती हैं, लेकिन पढ़ाई
पूरी करने के पहले स्कूल छोड़ देती हैं। इस
पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को जहां अभी
कोई जवाब नहीं
सूझता, वहीं मंत्रालय के अधिकारियों के पास भी इसको लेकर कोई ठोस योजना
नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना अभी
दूर की कौड़ी नजर आ रही है। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com एचआरडी में
राज्यमंत्री (स्कूली शिक्षा) उपेन्द्र कुशवाहा के मुताबिक यह सरकार और
मंत्रालय के लिए एक चुनौती है। लोग लड़कों की तुलना में लड़कियों पर कम
ध्यान देते हैं। सरकार इसका समाधान निकालने के लिए संवेदनशील है। मंत्रालय
के संयुक्त सचिव के मुताबिक लड़कियों का बीच में पढ़ाई छोड़ना जटिल समस्या
है। एचआरडी मंत्री ईरानी ने भी संवाददाता से सवाल के दौरान इसे गंभीर
मुद्दा माना और लड़कियों की स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति को रोकने के दिशा
में काम करने का आश्वासन दिया था, लेकिन मंत्रालय सूत्रों के अनुसार मामले
में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है। टाटा
इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने इस क्रम में पिछले साल सितंबर में महिला
एवं बाल विकास मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में भी कहा गया
है कि गांव के स्कूलों में कक्षा एक में दाखिला लेने वाली 100 छात्राओं में
से औसतन एक छात्रा दसवीं के बाद की पढ़ाई पढ़ती है। शहरों में प्रति हजार
में से 14 छात्राएं ही ऐसा कर पा रही हैं। भारत सरकार के स्कूली शिक्षा 2011-12 के आंकड़े के अनुसार सभी
वर्गों (अनुसूचित जाति, जनजाति सहित) की कक्षा 1-5, 1-8 और 1-10 के दौरान
क्रमश: 52.2 प्रति., 40.0 प्रति और 21.0 प्रतिशत छात्राएं पढ़ाई छोड़ देती
हैं। जबकि इसी क्रम में अनुसूचित जाति, जनजाति की क्रमश: 67.6, 57.1 और
35.3 छात्राएं पढ़ाई छोड़ती हैं।
पढ़ाई छोड़ने वाली बालिकाओं की स्थिति:
उत्तर प्रदेश - 50.7%
उत्तराखंड - 37.4 %
जम्मू कश्मीर - 42.2%
हिमाचल - 07%
प्रधानमंत्री
मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कक्षा 1-10 के दौरान सभी वर्गों की 59.3
प्रतिशत छात्राएं स्कूल छोड़ देती हैं। गुजरात में कक्षा 1-8 के दौरान
40.8 और एक से पांच के दौरान 27.1 प्रतिशत छात्राएं बीच में पढ़ाई छोड़ती
हैं। आंकड़े के मुताबिक सभी वर्गों की14-15 साल की पूरे देश में करीब दो
करोड़ 42 लाख 45 हजार 557 छात्राएं थी। जबकि 16-17 साल की छात्राओं की
संख्या दो करोड़, 14 लाख, 25 हजार, 355 रही। यानी दो साल के भीतर छात्राओं
की संख्या में 28 लाख की गिरावट।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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