शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने अतिथि अध्यापकों से कहा कि वे आंदोलन
का रास्ता छोड़कर सरकार के साथ वार्ता करें। वार्ता से ही समस्या का
समाधान निकलेगा। सरकार पिछले सात माह से समस्या का समाधान निकालने में जुटी
है, परंतु न्यायालय के आदेश सबके लिए लागू होते हैं। शर्मा ने कहा कि
पिछली सरकार द्वारा हाईकोर्ट में 2012 में अध्यापक अधिक होने का हलफनामा
दिया गया था, जिसके आधार पर कोर्ट ने अधिक
अध्यापकों को हटाने का आदेश दिया
था। 11 मई 2015 को मुख्य सचिव व महाधिवक्ता हाईकोर्ट में पेश हुए।
उन्होंने टीजीटी अध्यापकों को पीजीटी में प्रमोट करने का पक्ष रखा है।
सरकार ईमानदारी से समाधान करना चाहती है।
अतिथियों ने कहा नियम अनुसार हुई
नियुक्तियां: हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के प्रधान राजेंद्र शास्त्री,
महासचिव पारस शर्मा और प्रवक्ता धर्मवीर कौशिक ने बताया कि अतिथि शिक्षकों
ने पूरे राज्य में लगभग एक समान जवाब दाखिल किया है। कानूनी राय से यह जवाब
तैयार किया गया। जवाब में कहा गया है कि उनकी नियुक्तियां नियमों के
अनुसार हुई थी। इसके लिए बाकायदा विज्ञापन निकाला गया था। आरटीई के अनुसार
वर्कलोड का अनुपालन नहीं किया गया है। कोर्ट में खाली पदों का कोई ब्योरा
पेश नहीं किया गया है। अदालत को सरकार ने गुमराह किया है। धर्मवीर कौशिक के
अनुसार अतिथि अध्यापकों ने अपने जवाब में यह भी कहा कि उनका केस हाईकोर्ट
की डबल बैंच के पास लंबित है। इसलिए डबल बैंच का फैसला आ जाने तक उनकी
सेवाएं खत्म नहीं की जा सकती।
हुड्डा भी अतिथियों के साथ: नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे करीब साढ़े 15 हजार अतिथि
अध्यापकों को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा का साथ मिल गया है। मनोहर
सरकार पर अतिथि अध्यापकों, कंप्यूटर शिक्षकों और लैब सहायकों की अनदेखी का
आरोप लगाते हुए हुड्डा ने कहा कि बीच का रास्ता निकालना चाहिए। चौ. रणबीर
सिंह हुड्डा मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट ट्राफी का अनावरण करने चंडीगढ़
पहुंचे हुड्डा ने कहा कि दस साल की सरकार में उन्होंने अतिथि अध्यापकों की
रोजी-रोटी पर कोई संकट नहीं आने दिया। सरकार के यह दोहरे मापदंड हैं। एक
तरफ वार्ता करती है और दूसरी तरफ कर्मचारियों खासकर शिक्षकों को हटाया जा
रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। चुनाव
घोषणा पत्र में किया गया एक भी वादा पूरा नहीं हुआ।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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