हरियाणा के अतिथि अध्यापकों के आंदोलन का असर दिखता नजर आ रहा है। सरकार
सरप्लस अतिथि अध्यापकों को हटाने के बजाय उनकी सेवाएं बरकरार रखेगी।
मंत्रिसमूह ने बीच का रास्ता निकाल लिया है। सरकार पहले मास्टरों (टीजीटी)
को लेक्चरर (पीजीटी) के पदों पर प्रमोट करेगी। इससे हुए पदों पर अतिथि
अध्यापकों को एडजेस्ट किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से लंबे समय से
लेक्चरर बनाने की मास्टरों की
मांग पूरी हो जाएगी और अतिथि अध्यापकों की
नौकरी भी बची रहेगी। प्रदेश में साढ़े सात हजार टीजीटी ऐसे हैं, जिन्हें
पीजीटी के पद पर पदोन्नति का इंतजार है। इससे खाली होने वाले टीजीटी पदों
पर अतिथि अध्यापकों की सेवाएं ली जाएंगी। दूसरी तरफ अतिथि अध्यापक भी कारण
बताओ नोटिस के खिलाफ सोमवार को हाईकोर्ट में जाएंगे। मौलिक शिक्षा
महानिदेशक ने बृहस्पतिवार रात को इन 4060 अध्यापकों को हटाने से पहले कारण
बताओ नोटिस देकर जवाब मांगा था। इन शिक्षकों ने हालांकि जिला शिक्षा
अधिकारियों, ब्लाक शिक्षा अधिकारियों और प्रिंसिपल के माध्यम से जवाब दाखिल
कर दिए हैं, लेकिन नोटिस को अदालत में चुनौती दिए जाने पर यदि सरकार से
जवाब मांगा जाता है तो उसे ठोस फैसला लेने में समय मिल जाएगा।1मुख्यमंत्री
मनोहर लाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई मंत्रिसमूह की बैठक में
राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी को छोड़कर सभी मंत्रियों ने भागीदारी की।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पत्र लिखने के बाद सीएम ने यह बैठक बुलाई थी।
सचिवालय में करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में अतिथि अध्यापकों के साथ-साथ
कंप्यूटर शिक्षकों और लैब सहायकों के आंदोलन पर भी चर्चा की गई। बैठक में
अतिथि अध्यापकों का मामला उलझाने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कड़ी
से कड़ी कार्रवाई करने का प्रस्ताव आया।
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साभार: जागरण समाचार
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