प्रदेश के सरप्लस अतिथि अध्यापकों को शुक्रवार को हाई कोर्ट से एक महीने की
राहत मिल गई। हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर
नोटिस का जवाब देने वाले सरप्लस अतिथि अध्यापकों के जवाब पर निर्णय लेकर
कानून के अनुसार कार्रवाई करे। बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार 29 जून
तक इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाई तो 30 जून से सरप्लस गेस्ट टीचर बर्खास्त
माने जाएंगे। हरियाणा के एडवोकेट
जनरल बीआर महाजन ने हाई कोर्ट को बताया
कि सरप्लस अतिथि अध्यापकों को नोटिस दिया गया था जिसमे से 3585 ने नोटिस का
जवाब दिया था। जवाब पर गौर करने के लिए सरकार को कुछ समय चाहिए। यह भी
बताया गया है कि जिन 28 सरप्लस अतिथि अध्यापकों ने नोटिस का जवाब नहीं
दिया, उनकी बर्खास्तगी का आदेश 1 जून को जारी कर दिया जाएगा।
केवल सरप्लस हटाए जाएं: बेंच एक अध्यापक ने बेंच के सामने तथ्य रखा
कि वह जिस स्कूल में पढ़ा रहे हैं वहां केवल वह अकेले अध्यापक है। ऐसे में
उसे सरप्लस कैसे माना जा सकता है। बेंच ने निर्देश दिया है कि ऐसे टीचरों
का रिकॉर्ड देखा जाए और सिर्फ सरप्लस अतिथि अध्यापकों को हटाया जाए। वही
सुनवाई के दौरान कुछ बच्चों के अभिभावकों की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट सनजय
कौशल ने अतिथि अध्यापकों के सरप्लस होने के तथ्यों को गलत बताया। इस पर हाई
कोर्ट ने कहा की सरकार यह खुद ही मान चुकी है कि ये अतिथि अध्यापक सरप्लस
हैं। अगर इस मामले में आपको कुछ कहना है तो अलग से याचिका दायर करके कहें।
इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील जगबीर मलिक ने कहा कि सरकर ने सिर्फ पीजीटी और
टीजीटी की नियमित भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया है, लेकिन पीआरटी
शिक्षकों की भर्ती के बारे में अभी तक कुछ नहीं किया है। मलिक ने 1 जून के
बाद सरप्लस गेस्ट टीचरों को देने वाले वेतन की रिकवरी सत्ताधारी दल के
प्रमुख से करने की मांग की।
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साभार: जागरण समाचार
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