गर्मी का मौसम आते ही शहरों में आम के ज्यूस की दुकानें सज जाती हैं।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि अभी बाजार में देसी आम पहुंचे भी नहीं
हैं, लेकिन जगह-जगह आमरस की दुकानें लग चुकी हैं और आमरस भी मात्र 5 से 10
रुपए में मिल रहा है। सस्ते दाम में स्वादयुक्त आमरस पीने की ललक लोगों को
इनकी ओर खींच रही है। इसी के चलते वडोदरा में खाद्य विभाग ने गुरूवार को आमरस के
ठेलों सहित
दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
जांच में पता चला कि 80 प्रतिशत जगह
मिलावट वाला ज्यूस था। यानी की कैमिकल और सैक्रीन मिला हुआ। इसके चलते
विभाग के अधिकारियों ने एक हजार किलो से अधिक आमरस नष्ट किया।
कैसे तैयार किया जाता है रस: रस बनाने में सेक्रीन व केमिकल एथेंस का उपयोग किया जाता है, जबकि खाद्य
नियमानुसार सेक्रीन का उपयोग शक्कर के स्थान पर नहीं किया जा सकता।
विक्रेता रस बनाने के दौरान जूसर में आम के कुछ कटे टुकड़े, बर्फ, सेक्रीन व
केमिकल एथेंस डालकर उसे देर तक घुमाते हैं। कुछ देर बार यह रस पीले रंग
लिए आमरस जैसा दिखने लगता है।
सेहत पर असर:
सस्ता आमरस तैयार करने के लिए उसमें रंग एसेंस, अरारोट व अन्य पदार्थ मिलाए
जा रहे हैं। इसके सेवन से किडनी, लीवर पर घातक असर हो सकता है। डाक्टरों
के मुताबिक यह कैंसर जैसे खतरनाक रोग का भी कारण बन सकता है। साथ ही एलर्जी
व स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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