माइक्रोबायोलॉजी, बायोलॉजी की एक ब्रांच है जिसमें सूक्ष्म जीवों जैसे कि प्रोटोजोआ, फंगी, बैक्टीरिया और वायरस के लाइफ साइकल के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। ये जीव अत्यंत सूक्ष्म होते हैं और माइक्राेस्कोप की मदद से ही देखे जा सकते हैं। माइक्रोबायोलॉजी में बैक्टीरियोलॉजी, वायरोलॉजी, मायकोलॉजी, प्रोटोजूलॉजी और अन्य ब्रांच भी शामिल हैं।
यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बैक्टीरियोलॉजी में बैक्टीरिया, प्रोटोजूलॉजी में प्रोटोजोआ और वायरोलॉजी में वायरस का अध्ययन किया जाता है। कुछ सूक्ष्म जीव बीमारियों का कारण बनते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो एंटीबायोटिक्स और विटामिन्स का स्रोत होते हैं। इसके अलावा दवाओं का निर्माण, कीटनाशकों का निर्माण, विभिन्न खाद्य उत्पादों आदि में सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है। पर्यावरण का क्षेत्र हो या पर्यावरण संतुलन का, खाद्य संरक्षण, दवाओं के उद्योग विशेषकर एंटीबायोटिक, फैक्टरियों, मेडिकल क्षेत्र, कृषि उत्पादन, पेय पदार्थों के निर्माण, रसायन फैक्टरियों, सुगंध बनाने आदि में इसका काफी उपयोग है। माइक्रोबायोलॉजी में स्पेशलाइजेशन हासिल करने वाले प्रोफेशनल को माइक्रोबायोलॉजिस्ट कहा जाता है। ये प्रोफेशनल पता लगाते हैं कि सूक्ष्म जीव कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। ये स्मॉल पॉक्स, टायफाइड, पोलियो आदि के लिए वैक्सीन बनाने का काम भी करते हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट विभिन्न क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन हासिल कर सकते हैं।
जॉब प्रॉस्पेक्ट: इस क्षेत्र में बैचलर डिग्री करने वाले छात्र बतौर लैब टेक्नीशियन या बायोलॉजी शिक्षक का काम कर सकते हैं। मास्टर डिग्री या रिसर्च कोर्स कर चुके छात्र रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में जॉब कर सकते हैं। प्रोफेशनल के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में, लैबोरेटरीज, फूड एंड बेवरेजेस कंपनियों, फार्मास्युटिकल्स और केमिकल इंडस्ट्रीज में नौकरी की संभावनाएं ज्यादा हैं।
एलिजिबिलिटी: साइंस स्ट्रीम से बारहवीं कर चुके छात्र इसके बैचलर डिग्री कोर्स के लिए अावेदन कर सकते हैं। 12वीं करने के बाद छात्र माइक्रोबायोलॉजी या लाइफ साइंस के बीएससी कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। बीएससी कोर्स में प्रवेश के लिए अधिकांश संस्थान खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी आयोजित करते हैं। बैचलर डिग्री कर चुके छात्र मास्टर डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश के लिए बैचलर डिग्री में न्यूनतम 50 फीसदी अंक अावश्यक होते हैं। इसके बाद रिसर्च के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए छात्र पीएचडी कोर्स में भी दाखिला ले सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में फ्रेशर को भी औसतन 20 से 25 हजार रुपए प्रति माह का पैकेज मिलने की संभावना होती है। हालांकि संस्थान के अनुसार पैकेज अलग-अलग हो सकता है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद सैलरी पैकेज 5 से 6 लाख रुपए सालाना होने की संभावना होती है।
प्रमुख संस्थान:
- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी www.bhu.ac.in/
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ www.amu.ac.in/
- दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली www.du.ac.in/
- नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल www.ndri.res.in/
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साभार: भास्कर समाचार
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