Thursday, May 25, 2017

सरपंच ने खुद थामी शिक्षा की पतवार, चल पड़ी नाव

हरियाणा के स्कूलों में तकरीबन 40 हजार शिक्षकों की कमी है। इतने व्यापक स्तर पर शिक्षकों की कमी यह बयां करती है कि शिक्षा की नदी सूखी है। फतेहाबाद के गांव नागपुर का राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी
इसका अपवाद नहीं। यहां भी नदी सूखी थी मगर यहां की जिद्दी नाविक ने रेत की परवाह किए बगैर शिक्षा की नाव चला दी। नतीजा यह कि जिस अंग्रेजी विषय से स्कूली विद्यार्थी खौफजदा रहते हैं, उसके सुखद परिणाम आए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दरअसल, यह कहानी उस नागपुर गांव की है जहां की सरपंच नारी शक्ति है। सरपंच सुनीता सिहाग ने गत शैक्षणिक वर्ष के अंतिम दिनों में जब देखा कि स्कूल में इंग्लिश के चारों के चारों पद खाली पड़े हैं और विद्यार्थी की पढ़ाई सफर कर रही है तो शिक्षण की कमान खुद ही संभाल ली। इस जिद के साथ कि अपने गांव के बच्चों का भविष्य कम से कम इंग्लिश की वजह से खराब नहीं होगा। बस, जुट गई खुद पढ़ाने में। उनकी मेहनत और जज्बे की जीत हुई। बारहवीं कक्षा के हालिया परिणाम में दो विषयों में एमए सरपंच सुनीता के पढ़ाए 113 में से 72 विद्यार्थी अंग्रेजी में पास हो गए। यह अलग बात है कि स्कूल का बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 60 फीसद रहा है। बता दें कि सरपंच ने खाली समय में विद्यार्थियों को पढ़ाया। इसके अलावा एक्सट्रा क्लासें भी ली। 
स्कूल में स्टाफ की काफी कमी है। बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 60 फीसदी रहा है। सरपंच ने भी आखिरी समय में विद्यार्थियों को इंग्लिश पढ़ाई। 113 विद्यार्थियों में से इंग्लिश में 41 विद्यार्थी फेल हुए हैं। अगर सरपंच कक्षाएं न लेती तो परिणाम कम जा सकता था। स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए सरपंच के माध्यम से उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। - विजय कुमार, ¨प्रसिपल, गवर्नमेंट सी.से. स्कूल नागपुर, फतेहाबाद
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साभार: जागरण समाचार 
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