हरियाणा सेकेंडरी शिक्षा विभाग के निदेशक राजीव रतन ने कहा कि कहा कि बोर्ड के खराब रिजल्ट के लिए विभाग टीचरों की कमी जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इसके लिए समाज ही जिम्मेदार है। अभिभावकों को अपने
बच्चों को घर पर पढ़ाने के लिए समय देना चाहिए। उदाहरण देते हुए कहा कि मेरी बेटी को पढ़ाने में मेरी पत्नी पांच घंटे का समय देती है। निदेशक शनिवार को जींद के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कुछ अभिभावकों की शिकायतें भी सुनी। जो निजी स्कूलों के खिलाफ दी गई थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शिक्षा निदेशक ने कहा कि विभाग के अधिकारी हर जिले में दौरा कर स्कूलों में पढ़ाई का आंकलन कर रहे हैं। एक माह से कैचअप ज्वायफुल एक्टिविटी के माध्यम से बच्चों का ज्ञान बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने निर्जन आसपास के कई राजकीय स्कूलों में जाकर निरीक्षण किया और शिक्षकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। निदेशक ने बताया कि विभाग स्कूलों में किताबें पहुंचाने के लिए पूरी तरह से गंभीर है। आगामी 15 दिनों में सभी स्कूलों में किताबें पहुंच जाएंगी। एक सवाल के जवाब में राजीव रतन ने कहा कि जेबीटी को नियुक्ति दी जा रही है। हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई की जा रही है।
दोबारा पेपर कराने की मांग पर दिया आश्वासन: दो जमा पांच जन आंदोलन के अध्यक्ष सतबीर सिंह हुड्डा सुबह रेस्ट हाउस में शिक्षा निदेशक राजीव रतन से मिले। उन्होंने नियम 134ए के तहत दोबारा पेपर करने की मांग की। इस पर निदेशक ने कहा कि उन्होंने इसका केस ऊपर भेजा हुआ है। हुड्डा ने कहा कि स्कूलों में सीटों के अनुसार मेरिट के आधार पर दाखिला देना चाहिए। चार साल पहले कोई भी बच्चा फेल नहीं होता था लेकिन इस बार 55 प्रतिशत अंक की शर्त लागू करना गलत है। गरीब बच्चों को दाखिले के लिए निदेशालय सरकार उचित कदम उठाए।
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साभार: समाचार
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