पीएम नरेंद्र मोदी की ‘हर हाथ को काम’ मुहिम को हरियाणा में तगड़ा झटका लगा है। तकनीकी शिक्षा के प्रति युवाओं का रुझान लगातार कम हो रहा है। पिछले लगभग 4 वर्षों के दौरान राज्य में 78 प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेजों पर ताले लग चुके हैं। इनके कॉलेजों संचालकों ने या तो बिल्डिंग में स्कूल शुरू कर दिए हैं या कॉलेजों की जगह बैंक्वेट हॉल बना लिए हैं। स्थिति यह है कि प्राइवेट व सरकारी कॉलेजों में इंजीनियरिंग की करीब 60 फीसदी सीटें खाली हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार वर्ष 2013-14 के दौरान राज्य में सरकारी मान्यता प्राप्त 220 प्राइवेट पॉलिटेक्निक थे। लेकिन, 2017-18 में केवल 142 कॉलेजों ने एफिलिएशन (संबद्धता) ली है। यानी 78 पॉलिटेक्निक कॉलेज बंद हो गये हैं। इसकी मुख्य वजह विद्यार्थियों की संख्या कम होना है। बंद होने वाले कॉलेजों में कई तो ऐसे हैं, जिन्हें स्वीकृत सीटों के मुकाबले केवल 10 से 20 फीसदी विद्यार्थी ही बचे थे।
सरकारी कॉलेज बढ़े पर विद्यार्थी नहीं: प्रदेश में सरकारी क्षेत्र के इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेजों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। राज्य में 4 कॉलेज सरकारी सहायता (एडिड) से चल रहे हैं। इन कॉलेजों में कुल 1830 सीटें स्वीकृत हैं और इनमें से 646 खाली हैं। इसी तरह 28 सरकारी कॉलेजों में कुल 10 हजार 320 सीटों में से 2947 खाली हैं।
प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेज खाली: प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेजों की स्थिति और भी दयनीय है। पिछले वर्ष 146 कॉलेजों ने एफिलिएशन लिया था और इनके लिए विभिन्न ट्रेड की कुल 44 हजार 380 सीटें स्वीकृत की गईं थी। इनमें से 30 हजार 950 सीटें खाली रह गईं। इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी हालात ऐसे ही हैं। सरकार ने पहले सिरसा के पन्नूवाला मोटा, फिर नीलोखड़ी में इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किया।
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साभार: ट्रिब्यून समाचार
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