Wednesday, May 31, 2017

अयोध्या में ढांचा विध्वंस मामले में सभी 12 आरोपियों की अर्जी कोर्ट ने की खारिज; आडवाणी, जोशी व उमा पर आरोप तय

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अयोध्या में 1992 में ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, सांसद विनय कटियार समेत 12 आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय कर दिए। इसके साथ ही 25 साल बाद साजिश वाले मामले में केस दोबारा शुरू हो गया। इससे पहले निचली अदालत और फिर हाई कोर्ट ने इन्हें साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मंगलवार को विशेष अदालत ने इन नेताओं के खिलाफ समुदायों के बीच धार्मिक उन्माद फैलाने व वैमनस्यता पैदा करने, अशांति पैदा करने के अलावा धार्मिक उन्माद का वातावरण बनाने का षड्यंत्र रचने का आरोप तय किया। अब इस प्रकरण में बुधवार को गवाही होगी। कोर्ट को रोजाना सुनवाई करते हुए दो साल में फैसला दे देना है। दोपहर लगभग 12 बजे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, साध्वी ऋतंभरा समेत सभी 12 आरोपी विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव के समक्ष हाजिर हुए। ध्यान रहे कि 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में इन सभी पर आपराधिक साजिश का आरोप बहाल कर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।

इन छह धाराओं में चलेगा केस:

  • 120-बी (आपराधिक साजिश)
  • 153 (दंगे के लिए उकसाना)
  • 153-ए (समाज में नफरत फैलाना)
  • 295 (धार्मिक स्थल को तोड़ना)
  • 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना)
  • 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने या विद्रोह कराने की मंशा से गलत बयानी करना)

दूसरे केस में भी आरोप तय: विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में कोर्ट दो अलग-अलग केसों की सुनवाई कर रहा है। दूसरे केस में छह अन्य आरोपियों में रामविलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा, चंपत राय बंसल, महंत नृत्य गोपालदास, धरम दास और सतीश प्रधान हैं। इन पर भी मंगलवार को आरोप तय कर दिए गए हैं।

पांच मिनट तक समझाने पर आडवाणी ने किए दस्तखत: कोर्ट में जब आडवाणी से आरोपपत्र के कागजात पर दस्तखत करने को कहा गया तो उन्होंने इन्कार करते हुए कहा कि वह इन आरोपों को नहीं मानते। करीब पांच मिनट तक वकील और जज के समझाने के बाद आडवाणी ने कागजात पर दस्तखत किए।

किसने क्या कहा: इस मामले में सीबीआइ की जिरह के बाद आडवाणी सोच रहे होंगे कि क्या राष्ट्रपति पद को लेकर उनकी उम्मीदवारी खत्म करने के लिए मोदी की कोई भूमिका है? भाजपा के भीतर कई लोग इस बात से चिंतित होंगे कि मोदी सरकार अपने ही लोगों के खिलाफ भी जा सकती है। - मनीष तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता

यह एक कानूनी प्रक्रिया है, इसे होने दीजिए। हमें पूरा विश्वास है कि हमारे नेता निदरेष हैं और वे इससे बाहर निकलेंगे। अभी केस चल रहा है, इसलिए मैं कोई बयान नहीं देना चाहता क्योंकि बाहरी लोगों को केस के बारे में कोई बयान नहीं देना चाहिए - वेंकैया नायडू, केंद्रीय मंत्री

कोई साजिश नहीं थी। यह एक खुला आंदोलन था। कोर्ट का सम्मान करती हूं, इसलिए पेश होने जा रही हूं - उमा भारती, केंद्रीय मंत्री

हाई कोर्ट ने भी कह दिया है कि वह रामलला का स्थान है फिर केस किस बात का। उस वक्त लाखों लोग वहां मौजूद थे तो फिर साजिश कैसी? - विनय कटियार, भाजपा नेता

अब आगे क्या..

कानूनी कार्यवाही: चूंकि सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इन्कार किया है, इसलिए वे तय किए गए आरोपों के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील कर सकते हैं। वैसे ये आरोप सुप्रीम कोर्ट के आदेश से तय हुए हैं, इसलिए राहत मिलने की संभावना कम है। लेकिन आरोपियों के पास यह एक कानूनी विकल्प है। ऊपरी अदालतों से राहत नहीं मिलने की स्थिति में उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।

राजनीतिक संभावनाएं: आडवाणी और जोशी का नाम राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए चल रहा है। अदालती कार्यवाही से उनकी उम्मीदवारी पर कोई कानूनी अड़चन तो नहीं होगी, लेकिन विपक्ष नैतिकता का सवाल जरू र उठाएगा। कानून में महज आरोप तय होने से चुनाव लड़ने पर रोक नहीं है। अलबत्ता यदि इन दोनों में से कोई राष्ट्रपति चुन लिए जाते हैं तो उन्हें पद पर बने रहने के दौरान संवैधानिक संरक्षण जरू र मिल जाएगा।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार 
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