Tuesday, May 30, 2017

राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा जीत को लेकर आश्वस्त; सवा लाख से ज्यादा मतों से जीतने की उम्मीद

राष्ट्रपति चुनाव में जीत को लेकर भाजपा आश्वस्त है। उसे उम्मीद है कि उप्र चुनाव की जीत के बाद वह आसानी से अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनाने में ही कामयाब नहीं होगी, बल्कि उसकी जीत करीब सवा लाख से
अधिक मतों से होगी। हालांकि अभी तक किसी भी उम्मीदवार का नाम पार्टी ने फाइनल नहीं किया है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर भी किसी तरह की जल्दबाजी के पक्ष में पार्टी नहीं है। यह कार्य भी संभवत: राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही होगा। इसमें कुछ केंद्रीय राज्यमंत्रियों को प्रदर्शन के आधार पर कैबिनेट का दर्जा दिया जा सकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पार्टी के एक शीर्षस्थ पदाधिकारी ने कहा कि उप्र चुनाव से पहले हमें करीब 65000 मतों की जरूरत राष्ट्रपति चुनाव के लिए थी। यह चुनाव के बाद घटकर करीब 18 हजार रह गई है। अगर दक्षिणी राज्यों का गणित हम लगाएं तो हमें जिन 18 हजार की कमी है, हमें इसकी पूर्ति वहां से हो जाएगी। इसके अलावा गोवा के साथ ही पूर्वोत्तर में भी हम कई राज्यों में अब सरकार में हैं। ऐसे में कोई संकट हमें नहीं दिखता है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि वह सवा लाख से अधिक मतों से राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाएगी। 
केंद्रीय मंत्रिमंडल में चुनाव के बाद फेरबदल की संभावना: केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव पर एक पदाधिकारी ने कहा कि संभवत: यह जुलाई के बाद हो। हालांकि, रक्षा और वित्त में किसी तरह का बदलाव शायद ही हो। कृषि, ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय जैसे मंत्रालयों में प्रदर्शन आशानुरूप नहीं है। लेकिन कार्य वहां पर भी तेज है। ऐसे में वहां बदलाव हो सकते हैं। कर्नाटक में चुनाव है। ऐसे में केंद्रीय मंत्रिमंडल में वहां से कुछ नए चेहरे सकते हैं। बिहार, उप्र चुनाव से पहले इन राज्यों में भी ऐसा किया गया था। सरकार के कई मंत्री बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शाामिल हैं। इन्हें तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। 
क्रास वोटिंग की संभावना: क्या चुनाव में क्रॉस वोटिंग हो सकती है। इस के जवाब में एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि निश्चित तौर पर विपक्ष की ओर से ऐसा हो सकता है। कई विपक्षी दल के नेता नहीं चाहते हैं कि अनावश्यक रूप से सिर्फ राजनीति के लिए वह विरोध करें। ऐसे में यह हो सकता है। दिल्ली विधानसभा में भी इस तरह की संभावना से इस पदाधिकारी ने इनकार नहीं किया।
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साभार: भास्कर समाचार 
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