कोशिश है खुद को साबित करने की। टैफे काम क्या सिर्फ लड़के ही कर सकते हैं। लड़कियां भी जोखिम ले सकती है। इसी उद्देश्य को सामने रख कर शिक्षा विभाग ने एक पहल की है। टॉपर बच्चियों को पहाड़ की चोटी पर ले
जाकर। मंडी जिले के व्यास कुंड, जहां ग्लेशियर हैं, उस जगह प्रदेश की 22 बच्चियों ने रविवार को 5289 ऊंचाई पर स्थित फ्रेंडशिप पीक पर दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर तिरंगा फहराया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पहली बार प्रदेश की सरकारी स्कूलों की छात्राओं का दल इस चोटी पर पहुंचा। हालांकि पिछले साल लड़कों का एक दल इस चोटी पर हो आया है। लेकिन छात्राएं पहली बार इस उंचाई पर यहां पहुंची है। इस दल में वह लड़कियां शामिल की गई, जिन्होंने किसी भी एक सब्जेक्ट में शतप्रतिशत अंक हासिल किए हो। हर जिले से एक लड़की को इस दल में शामिल किया गया है।
दो बार बर्फीले तूफान का सामना किया, फिर भी डटी रही: यह चढ़ाई इसलिए जोखिम भरी मानी जाती है, क्योंकि यहां बर्फीले तूफान अक्सर जाते हैं। इस यात्रा में भी बच्चियों ने दो बार बर्फीले तूफान का सामना किया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। तकरीबन सात दिन तक ग्लेशियर में रही। बर्फ का पिघलाकर कर पानी पिया और उसी से खाना बनाया गया। रविवार को ही चोटी पर पहुंच यह दल रात को दूसरे बैस कैंप बकरथाच पर सकुशल लौट आया है। अब दल बयास कुंड स्थित पहले बैस कैंप पर जाएगा।
3 जून को चंडीगढ़ पहुंच जाएगा दल: तीन जून को यह दल वापस चंडीगढ़ आएगा। यहां राज्यपाल से मुलाकात भी करेंगे। 18 मई को सीएम मनोहर लाल ने इस दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। शिक्षा विभाग के एसीएस पीके दास ने बताया कि कोशिश यह है कि इस तरह के खेलों से लड़कियों में यह भावना पैदा करने की एक कोशिश है कि वें भी लड़कों से कम नहीं है। वें भी जोखिम उठा सकती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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