सोनीपत के राई स्पोर्ट्स स्कूल में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। सियासत का अखाड़ा बने इस विवाद से जुड़े दोनों दिग्गज मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और अनिल विज खुलकर
कूद पड़े हैं। वित्त मंत्री ने किसी भी विभाग का ऑडिट कराने को अपना हक बता डाला तो खेल मंत्री ने पूछ लिया कि यह बताया जाए कि पहले कितनी ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की गई हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। घोटाले को लेकर जहां कांग्रेस विधायक जयतीर्थ दहिया ने मोर्चा खोल रखा है, वहीं दोनों मंत्री आपस में उलङो हुए हैं। अभी तक चुप्पी साधे वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सोमवार को कहा कि खेल स्कूल राई में वित्तीय अनियमितताओं की जांच प्रशासनिक मामला है और इस पर ज्यादा बोलना उचित नहीं है। कैप्टन ने अनिल विज का नाम लिए बगैर कहा कि वे अपने सभी सहयोगियों का सम्मान करते हैं। सब जानते हैं कि वित्त विभाग का काम सभी विभागों को मांग के अनुसार बजट उपलब्ध कराना है, जबकि आवंटित बजट का सही इस्तेमाल ऑडिट विभाग सुनिश्चित करता है। इसलिए ऑडिट में किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
उधर, कैप्टन के बयान पर पलटवार करते हुए खेल मंत्री अनिल विज ने ऑडिट करने के तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि माना ऑडिट कराना रूटीन का काम है, पर बताया जाए कि कितनी ऑडिट रिपोर्ट अखबार में छपती हैं। काबिल-ए-गौर है कि इस आडिट रिपोर्ट के अंश अखबार में छपे हैं। विज ने कहा कि किसी भी जांच का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। ऑडिट को पूरा होने से पहले छपवा देना गलत है।’
इसलिए नाक का सवाल: राई खेल स्कूल में इलेक्ट्रॉनिक एवं खेल उपकरणों की खरीदारी में अनियमितताओं की शिकायत पर वित्त मंत्री ने विशेष ऑडिट टीम का गठन किया था। तीन फरवरी को यह टीम स्कूल का रिकॉर्ड अपने साथ ले आई। हालांकि आडिट टीम इस बात के प्रमाण दे रही कि रिकार्ड स्कूल प्रबंधन ने ही उपलब्ध कराया। इसे नाक का सवाल बनाते हुए खेल मंत्री ने स्कूल की प्रिंसिपल एवं निदेशक भारती अरोड़ा की शिकायत को आधार बनार टीम के छह अफसरों पर केस दर्ज करने का निर्देश दे दिया था।
मुख्य सचिव करेंगे जांच: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए जांच वरिष्ठ आइएएस अशोक खेमका को सौंप दी थी, लेकिन केस हाई प्रोफाइल बनता गया और सरकार के गले की फांस बन गया। खेमका ने जांच के दौरान किसी को भी तलब करने की पावर लिखित में नहीं होने पर इंक्वायरी से हाथ खड़े कर दिए। मंत्रियों का विवाद आगे न बढ़े, लिहाजा अब पूरे प्रकरण की जांच मुख्य सचिव डीएस ढेसी से कराने की तैयारी है।
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साभार: जागरण समाचार
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