अम्बाला में 25.13 करोड़ रु. के मनरेगा घोटाले में लोकायुक्त एनके अग्रवाल ने चार आईएएस अफसरों पर एफआईआर दर्ज करवाने की सिफारिश की है। इन अफसरों में फरीदाबाद के डीसी समीरपाल सरो, कुरुक्षेत्र की
डीसी सुमेधा कटारिया, कोऑपरेटिव शुगर मिल्स फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहम्मद शाईन महिला एवं बाल विकास विभाग की डायरेक्टर रेणु फूलिया शामिल हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। घोटाला कांग्रेस सरकार में 2007 से 2010 के बीच हुआ था। इस दौरान इन अधिकारियों ने वन विभाग के अफसरों को पेमेंट के चेक जारी किए थे। मामले में वन विभाग के वन मंडल अधिकारी (अम्बाला) जगमोहन शर्मा सहित 9 अफसरों पर केस दर्ज हो चुके हैं, जबकि 4 अधिकारी निलंबित हुए थे। आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर की शिकायत पर सुनवाई करते हुए लोकायुक्त ने आदेश की कॉपी मुख्य सचिव डीएस ढेसी को भेज दी है। सरकार को तय करना है कि इस मामले में क्या कार्यवाही करनी है। स्वास्थ्य मंत्री अम्बाला कैंट से विधायक अनिल विज ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया है।
सरकार पर पद से हटाने का दबाव बनेगा: सरकार तुरंत कार्रवाई के बजाय लोकायुक्त के अंतिम आदेश का इंतजार कर सकती है। हालांकि, सरकार पर इन अधिकारियों को पद से हटाने का दबाव बन सकता है।
अधिकारीजा सकते है कोर्ट: अफसरखुद के बचाव के लिए कोर्ट जा सकते हैं। वहां से यदि राहत नहीं मिलती तो उनके लिए दिक्कत बढ़ना तय है। क्योंकि भ्रष्टाचार पर सरकार बार-बार जीरो टॉलरेंस की बात करती है। मामले में हुड्डा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। भाजपा सरकार आने पर 13 जनवरी 2015 को पीपी कपूर ने सीएम विंडो पर शिकायत की तो 27 जनवरी 2015 को सरकार ने वन विभाग के 9 अफसरों पर एफआईआर दर्ज कराई। लेकिन आईएएस अधिकारियों को छोड़ दिया। पीपी कपूर ने 30 जनवरी 2015 को लोकायुक्त को शिकायत देकर आईएएस अफसरों पर आपराधिक केस दर्ज कराने की मांग की थी।
मामला विधानसभा में उठा तो हुड्डा सरकार ने विजिलेंस को जांच सौंपी। 16 नवंबर 2012 को विजिलेंस के तत्कालीन डीजीपी शरद कुमार ने रिपोर्ट सरकार को दी। इसमें पाया कि डीसी ने बिना प्रशासनिक तकनीकी अनुमति के मनरेगा नियमों को ताक पर रख वन विभाग के अफसरों को चेक काटकर पेमेंट करवा दी। लेकिन जिन कार्यों के लिए पैसा जारी किया गया, वे कार्य हुए भी नहीं। अधिकारियों ने रिपोर्ट बना दी कि जो पौधे लगाए और पार्क बनाया, वह बाढ़ में बह गए। इस पर विजिलेंस ने वन विभाग के 9 अफसरों पर केस दर्ज करने की सिफारिश की थी। लेकिन अम्बाला के तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो, मोहम्मद शाइन, आरपी भारद्वाज तत्कालीन एचसीएस अधिकारी एडीसी रहीं रेणु फुलिया सुमेधा कटारिया के खिलाफ कार्यवाही का फैसला सरकार पर छोड़ दिया था।
मामले में शिकायतकर्ता पानीपत के समालखा निवासी पीपी कपूर के अनुसार, वर्ष 2007 से 2010 के दौरान केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत अम्बाला को 50 करोड़ की धनराशि भेजी। इसमें से25.13 करोड़ रुपए वन विभाग अम्बाला के वन मंडल अधिकारी को हर्बल पार्क बनवाने, पौधरोपण, नर्सरी लगाने जैसे कार्यों के लिए अलॉट हुए। यह कार्य मनरेगा के तहत अम्बाला, नारायणगढ़ और शहजादपुर ब्लॉक में होना था। तत्कालीन एडीसी संजीव वर्मा और वजीर सिंह गोयत ने इन कार्यों में गबन से जुड़ी रिपोर्ट तत्कालीन डीसी को सौंपी थी। इसके बावजूद उस दौरान अलग-अलग समय में डीसी रहे समीर पाल सरो, मोहम्मद शाईन और एडीसी रेणु फूलिया सुमेधा कटारिया ने वन विभाग के अधिकारियों को 25.13 करोड़ के चेक जारी कर दिए। आरोप है कि ये प्रशासनिक अधिकारी वन विभाग के अफसरों से मिले हुए थे।
मामला विधानसभा में उठा तो हुड्डा सरकार ने विजिलेंस को जांच सौंपी। 16 नवंबर 2012 को विजिलेंस के तत्कालीन डीजीपी शरद कुमार ने रिपोर्ट सरकार को दी। इसमें पाया कि डीसी ने बिना प्रशासनिक तकनीकी अनुमति के मनरेगा नियमों को ताक पर रख वन विभाग के अफसरों को चेक काटकर पेमेंट करवा दी। लेकिन जिन कार्यों के लिए पैसा जारी किया गया, वे कार्य हुए भी नहीं। अधिकारियों ने रिपोर्ट बना दी कि जो पौधे लगाए और पार्क बनाया, वह बाढ़ में बह गए। इस पर विजिलेंस ने वन विभाग के 9 अफसरों पर केस दर्ज करने की सिफारिश की थी। लेकिन अम्बाला के तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो, मोहम्मद शाइन, आरपी भारद्वाज तत्कालीन एचसीएस अधिकारी एडीसी रहीं रेणु फुलिया सुमेधा कटारिया के खिलाफ कार्यवाही का फैसला सरकार पर छोड़ दिया था।
मामले में शिकायतकर्ता पानीपत के समालखा निवासी पीपी कपूर के अनुसार, वर्ष 2007 से 2010 के दौरान केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत अम्बाला को 50 करोड़ की धनराशि भेजी। इसमें से25.13 करोड़ रुपए वन विभाग अम्बाला के वन मंडल अधिकारी को हर्बल पार्क बनवाने, पौधरोपण, नर्सरी लगाने जैसे कार्यों के लिए अलॉट हुए। यह कार्य मनरेगा के तहत अम्बाला, नारायणगढ़ और शहजादपुर ब्लॉक में होना था। तत्कालीन एडीसी संजीव वर्मा और वजीर सिंह गोयत ने इन कार्यों में गबन से जुड़ी रिपोर्ट तत्कालीन डीसी को सौंपी थी। इसके बावजूद उस दौरान अलग-अलग समय में डीसी रहे समीर पाल सरो, मोहम्मद शाईन और एडीसी रेणु फूलिया सुमेधा कटारिया ने वन विभाग के अधिकारियों को 25.13 करोड़ के चेक जारी कर दिए। आरोप है कि ये प्रशासनिक अधिकारी वन विभाग के अफसरों से मिले हुए थे।
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साभार: भास्कर समाचार
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